नई दिल्ली। पूर्व सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को चयन समिति द्वारा हटाए जाने का फैसला लिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज जस्टिस एके पटनायक ने हैरानी जताई है। उन्होंने कहा कि चयन समिति ने इतने कम समय में 1000 पन्नों से ज्यादा की रिपोर्ट कैसे पढ़ ली और आलोक वर्मा को हटाने का फैसला ले लिया। बता दें कि पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एके पटनायक की देखरेख में ही पूर्व सीबीआई निदेशक पर लगे भ्रष्टाचारों के आरोपों की जांच की गई थी। पीएम के कोर ग्रुप ने, जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और न्यायमूर्ति एके सीकरी शामिल थे आलोक वर्मा को उनके पद से हटाने का निर्णय लिया था।
गौरतलब है कि पूर्व सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के द्वारा एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे। इसके बाद सरकार ने दोनों ही अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया था। आलोक वर्मा ने उन्हें जबर्दस्ती छुट्टी पर भेजे जाने का आरोप लगाया था। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद सरकार को उन्हें फिर से पदस्थापित करने का आदेश दिया था। पदभार संभालने के 2 दिनों बाद ही पीएम के कोर ग्रुप की बैठक में उन्हें सीबीआई निदेशक के पद से हटाने का निर्णय लिया गया।
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यहां बता दें कि कोर ग्रुप से हटाने के बाद उन्हें दिल्ली डीजी फायर सर्विस बनाया गया लेकिन उन्होंने इस पद को स्वीकार करने के बजाय इस्तीफा दे दिया। अब इस मामले ने एक बार फिर से तूल पकड़ने लगा है। आलोक वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने वाले सेवानिवृत्त जज एके पटनायक ने कोर ग्रुप जिसमें पीएम के अलावा नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सुप्रीम कोर्ट के जज एके सीकरी शामिल थे, उनके द्वारा लिए गए फैसले पर हैरानी जताई है। उन्होंने कहा कि यह हैरान करने वाली बात है कि चयन समिति ने इतने कम समय में 1000 पन्नों से ज्यादा की रिपोर्ट कैसे पढ़ ली? आपको बता दें कि नेता विपक्ष समिति के अन्य सदस्यों के फैसले से असहमत थे और उन्होंने वर्मा को भी अपना पक्ष रखने का मौका देने की बात कही थी।
गौर करने वाली बात है कि जस्टिस पटनायक से जब पूछा गया कि क्या वर्मा को रॉ डील मिली। इसके जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं। उन्हें दो करोड़ की रिश्वत मिलने को लेकर कोई सबूत नहीं है। सीवीसी ने मेरी देखरेख में जो सबूत रिकॉर्ड किए थे वह भ्रष्टाचार के आरोपों को सिद्ध करने के लिए काफी नहीं है।’’