नई दिल्ली। देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ नहीं होंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने इस बात से साफ इंकार करते हुए कहा कि जबतक इसके लिए कोई कानूनी ढांचा तैयार नहीं होगा ऐसा करना मुमकिन नहीं है। उन्होंने कहा कि फिलहाल जिस तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं उसमें इस बात की कोई संभावना नहीं है। बता दें कि इस साल के अंत में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम में विधानसभा के चुनाव होने हैं जबकि अगले साल लोकसभा के चुनाव होंगे।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार पूरे देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने के पक्ष में हैं। सरकार का कहना है कि ऐसा होने से चुनावी खर्च में कमी आएगी और राजस्व की बचत भी होगी। बताया जा रहा है कि 16वीं लोकसभा चुनाव में कुल 3800 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। इसमें विधानसभा चुनाव के खर्च भी जोड़ दिए जाएं तो आंकड़ा काफी ज्यादा हो सकता है।
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यहां बता दें कि एक साथ चुनाव होने पर बेतहाशा खर्च पर लगाम लगेगी जिससे देश को ही फायदा होगा। आपको बता दें कि केंद्र सरकार के इस फैसले का कई पार्टियों ने भी विरोध किया है। लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए न्यायमूर्ति जीवन रेड्डी ने चुनाव सुधार संबंधी विधि आयोग के प्रतिवेदन में 1999 में इसकी अनुशंसा की थी। पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी और कार्मिक विभाग की समिति ने भी इसका समर्थन किया था।