नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी गोकुलपुरी में एक डेयरी और मकान का सील तोड़ने के मामले में प्रदेश भाजपाध्यक्ष मनोज तिवारी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। मंगलवार को तिवारी की अदालत में पेशी होनी है। इसके बाद ही भाजपा अपनी आगे की रणनीति तय करेगी। बताया जा रहा है कि सीलिंग के मुद्दे पर केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट से किसी तरह का पंगा मोल नहीं लेना चाहती है। ऐसे में किसी और नेता का साथ नहीं मिलने से मनोज तिवारी अकेले पड़ते नजर आ रहे हैं।
गौरतलब है कि पिछले दिनों प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने गोकुलपुरी इलाके में एक डेयरी और मकान का सील तोड़ दिया था। इसके एमसीडी ने उन पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना का मुकदमा दर्ज कराया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी मनोज तिवारी को तलब कर पूछा था कि उनके खिलाफ अवमानना का मुकदमा क्यों न चलाया जाए? बता दें कि सील तोड़ने के मामले में भाजपा के किसी नेता ने उनका समर्थन नहीं किया। पिछले दिनों पूर्वांचल की रैली मंे तिवारी ने भाजपाध्यक्ष अमित शाह के सामने सीलिंग का मुद्दा उठा दिया।
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यहां बता दें कि मनोज तिवारी को यह लगा कि अध्यक्ष के बोलने पर नेता उनके समर्थन में आ जाएंगे लेकिन इस मामले मंे शाह की चुप्पी ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दीं। जानकारों का मानना है कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट से किसी तरह का झगड़ा मोल नहीं लेना चाहती है। अब मंगलवार को मनोज तिवारी को अदालत में पेश होना है। अदालत के फैसले के बाद ही भाजपा आगे की रणनीति तय करेगी। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि तिवारी ने उत्साह में आकर जो कदम उठाया है, उससे पूरी प्रदेश भाजपा के समक्ष संकट खड़ा कर दिया है।