नई दिल्ली । मोदी सरकार का बहुचर्चित तीन तलाक बिल एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। मोदी कैबिनेट ने तीन तलाक के अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। अब इस बिल को जल्द से जल्द राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा, जहां से मंजूरी मिलने के बाद यह कानून में तब्दील हो जाएगा। हालांकि अभी यह कानून 6 महीने के लिए होगा क्योंकि 6 माह बाद कैबिनेट को इस बिल को दोबारा सदन में पास कराने के लिए लाना पड़ेगा। बहरहाल, लोकसभा चुनावों से पहले मोदी सरकार के इस दांव से विपक्षी दल चित हो गए हैं। इस अध्यादेश के जारी होने के साथ ही इस मुद्दे को लेकर कोर्ट की ओर रुख करने वाली सायरा बानो ने कहा कि सरकार के इस कदम से मुस्लिम समाज की महिलाएं काफी खुश हैं। इससे मुस्लिम महिलाओँ को न्याय मिले सकेगा। मुस्लिम समाज में तीन तलाक को लेकर जो प्रथा थी इस कानून के चलते उसपर रोक लगेगी। वहीं कांग्रेस ने मोदी कैबिनेट के इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने हमारी मांंगों को नहीं माना। मोदी सरकार की इस पहल के मौजूदा स्वरूप से मुस्लिम महिलाओँ को न्याय नहीं मिले पाएगा।
राज्यसभा में 2 सत्र से लटका था बिल
बता दें कि यूपी विधानसभा चुनावों के दौरान मोदी सरकार ने इस मुद्दे को गर्माया था। लोकसभा में इस विधेयक को पास कराने के बाद यह पिछले 2 सत्र से लोकसभा में लटका हुआ था। इस बिल को लेकर विपक्षी दलों ने कई तरह के बदलाव की मांग की थी, इस विधेयक को सलेक्ट कमेटी के पास भी भेजने की कवायद हुई , लेकिन अंत में मोदी सरकार ने एक बड़ा राजनीतिक दांव खेलते हुए बुधवार को इससे संबंधित अध्यादेश जारी कर दिया है।
3 राज्यों में विधानसभा चुनावों से पहले अध्यादेश
असल में मोदी सरकार ने इस मुद्दे को यूपी विधानसभा चुनावों के दौरान उठाया था, जिसका लाभ उन्हें यूपी चुनावों के दौरान मिला था। बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाओं ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया था। इसके बाद एक बार फिर से मोदी सरकार ने तीन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले इस मुद्दे को लेकर एक बड़ा दांव खेल दिया है। लोकसभा से तीन तलाक विधेयक पास होने के बाद राज्यसभा में दो सत्र से लटका हुआ था। इसके मद्देनजर सरकार ने इससे जुड़े अध्यादेश को जारी कर दिया है। जानकारों का कहना है कि इस अध्यादेश को जारी करने का लाभ भाजपा को मिल सकता है।
विपक्ष पर लगाए थे भाजपा ने आरोप
बता दें कि लोकसभा से तीन तलाक विधेयक के पास होने के बाद राज्यसभा में इसे लेकर काफी हंगामा हुआ था। भाजपा ने विपक्षी दलों को घेरते हुए आरोप लगाया था कि वो मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाना नहीं चाहते। इसलिए ही तीन तलाक जैसे मुद्दे पर कानून लाने के लिए अड़ंगे लगा रहे हैं। इतना ही नहीं बिल को मौजूदा स्वरूप पर सहमति नहीं बनने के चलते भाजपा ने कांग्रेस समेत अन्य दलों पर इस मुद्दे को लेकर भी राजनीतिक लाभ उठाने की बात कही थी।
अब राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए जाएगा
कैबिनेट द्वारा पास किए गए तीन तलाक से संबंधित अध्यादेश को अब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के बाद मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद तीन तलाक कानून बन जाएगा, जिसके तहत दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो सकेगी। हालांकि मौजूदा कानून अभी 6 महीने के लिए बिल लागू रहेगा । इसके बाद एक बार फिर से इस बिल को पास कराने के लिए सदन में लाना पड़ेगा।