नई दिल्ली । देश के बूढ़े बुजुर्गों के लिए एक अच्छी खबर है । केंद्र की मोदी सरकार वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल से जुड़ा एक बिल संसद में लेकर आ रही है । इस बिल के पास होने के बाद अब बुजुर्गों की देखभाल करना उनके बेटा-बेटी के लिए ही नहीं बल्कि बहु-दामाद-पोता-पोती-नाती-नातिन के लिए कानूनी तौर पर बाध्यकारी होगा । मोदी कैबिनेट ने बुधवार को ' मेंटेनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन अमेंडमेट बिल 2019 ' को मंजूरी दे दी है । इस बिल में कहा गया है कि अब बच्चों को अपने माता पिता ही नहीं बल्कि अपने सास ससुर के देखभाल की भी जिम्मेदारी उठानी होगी । खबर है कि जल्द ही इस बिल को संसद में पेश किया जाएगा , जिसके बाद यह कानून देश के बूढ़े बुजुर्गों की बुनियादी जरूरतों के साथ ही उन्हें सुरक्षा भी मुहैया कराएगा । कानून का उल्लंघन करने वालों की जेल की सजा बढ़ाने का प्रावधान भी इस बिल में शामिल है जिसे तीन से बढ़ाकर छह माह किया गया है ।
जावड़ेकर ने दी कैबिनेट के फैसले की जानकारी
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कैबिनेट के इस फैसलों की जानकारी दी । उन्होंने इस दौरान कहा - वरिष्ठ नागरिकों को सुरक्षा के साथ ही बुनियादी सुविधाएं मुहैया करवाना और उनकी गरिमा बनाए रखना इस बिल का मुख्य उद्देश्य है । इस बिल में सगे बच्चों के साथ गोद लिए गए बच्चों और सौतेले बेटे-बेटियों को भी शामिल किया गया है ।
बुगुर्जों की अनदेखी पड़ेगी भारी
मिली जानकारी के मुताबिक , आने वाले समय में देश के बुढ़े बुजुर्गों की अनदेखी करना उनके बच्चों पर भारी पड़ सकता है । मोदी कैबिनेट ने मेंटेनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन अमेंडमेट बिल 2019 ' को मंजूरी दे दी है । इस बिल के तहत बुजुर्गों की देखभाल का जिम्मा सिर्फ उनको बच्चों पर नहीं होगा बल्कि बेटा-बेटी, नाती-नातिन और पोता-पोती भी देखभाल के लिए कानून तौर पर बाध्य होंगे । इन बुजुर्गों की अनदेखी करना उनके बच्चों पर भारी पड़ सकता है ।
वरिष्ठ नागरिक केयर होम
इस बिल के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया है कि इस बिल में 'वरिष्ठ नागरिक केयर होम' का गठन कर उसमें रजिस्ट्रेशन कराने का प्रस्ताव भी शामिल है । केंद्र सरकार जिसके मानक और कामकाज तय करेगी । इस एजेंसी का काम वरिष्ठ नागरिकों तक अपनी पहुंच बढ़ाना होगा साथ ही हर पुलिस स्टेशन को इसके लिए नोडल अफसर की नियुक्ति करनी होगी।
2007 के बिल में संशोधन
मिली जानकारी के अनुसार , मोदी सरकार वरिष्ठ नागरिकों और परिजनों की कल्याण से जुड़े 2007 के बिल में यह संशोधन कर रही है । इसके मुताबिक परिवार में बच्चे अब सिर्फ अपने माता-पिता ही नहीं बल्कि सास-ससुर के देखभाल को भी जिम्मेदार होंगे, भले ही वह वरिष्ठ नागरिकों की श्रेणी में न आते हों । इस बिल में बुजुर्गों की देखभाल शब्द को भी परिभाषित किया गया है । इसमें रहने का इंतजाम और सुरक्षा देने को शामिल किया गया है । रखरखाव की राशि को वरिष्ठ नागरिक, परिजन, बच्चे और रिश्तेदारों की कमाई के आधार पर तय किया जाएगा ।