नई दिल्ली। एससी/ एसटी एक्ट को लेकर मोदी सरकार जल्द ही बड़ा निर्णय लेने वाली है। इस एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदलने के लिए सरकार अध्यादेश लाने पर विचार कर रही है। अध्यादेश लाने के बाद सरकार इसे विधेयक के तौर पर संसद में पेश करेगी। बताया जा रहा है कि सरकार इस विधयेक के जरिए प्रस्ताव को संविधान की 9वीं सूची के तहत रखा जाएगा ताकि इसे न्यायिक चुनौती देने के सभी रास्ते बंद हो जाएं। अब इस मामले पर 16 मई को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई होनी है, सरकार अध्यादेश पर इसके बाद ही फैसला ले सकती है।
गौरतलब है कि एससी/एसटी एक्ट में गिरफ्तारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर केंद्र सरकार ने पुनर्विचार याचिका डाली हुई है। यहां बता दें कि सरकार का कहना है कि कोर्ट कानून नहीं बना सकता है, कानून बनाने का काम संसद का है। सरकार की तरफ से यह भी कहा गया था कि संविधान ने न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका के अधिकारों का बंटवारा किया है। अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने कहा कि कोर्ट के फैसले से दलितों के आत्मसम्मान को चोट लगी है।
वहीं दूसरी तरफ इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट एससी/एसटी एक्ट में एफआईआर से पहले अफसर संतुष्ट हों कि किसी को झूठा तो नहीं फंसाया जा रहा है। केंद्र सरकार के बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाते हुए कहा कि अगर इस देश में जीने के अधिकार को कोर्ट लागू नहीं करेगा तो कौन करेगा? क्यों कोर्ट अपने अधिकार का इस्तेमाल कर जीने के अधिकार को लागू नहीं कर सकता?
ये भी पढ़ें - कांग्रेस नेता ने ‘महामहिम’ को लिखा पीएम के खिलाफ शिकायती पत्र, कहा-भाषाओं के इस्तेमाल को लेकर...
गौर करने वाली बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट के तहत फौरन गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए कहा था कि पहले मामले की जांच कराई जानी चाहिए। कोर्ट के इस फैसले के बाद 2 अप्रैल को भारत बंद के तहत पूरे देश में हिंसक विरोध हुआ था।