नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने निजी स्कूलों के मनमाने ढंग से फीस बढ़ाने, कैपिटेशन फीस वसूलने और स्कूल ड्रेस बदलने के फैसलों पर नकेल कसने के लिए कानूनी तैयारी शुरू कर दी है। यूपी सरकार ने इस मुद्दे पर मिल रही शिकायतों के बाद एक कड़ा कानून बनाया है, जिसके सफल होने पर अब केंद्र इस व्यवस्था को व्यापक रूप देने की जुगत में लग लगा है। इस कानून के तहत निजी स्कूलों के साथ-साथ अल्पसंख्यक समुदायों के स्कूलों की फीस पर नियंत्रण किया जाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार सभी पक्षों से सलाह करने में जुट गई है। इस फैसले को लागू करने से पहले सर्वसम्मति बनाने की कोशिशों में लगी हुई है।
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इस पर अधिकारियों का कहना है कि फीस को नियंत्रित करना राज्य सरकार का काम है क्योकि स्कूल वहां पंजीकृत हैं। केंद्र सरकार इस पर आंतरिक चर्चा कर रही है। साथ ही सहमति के लिए राज्यों और अन्य पक्षों से भी बातचीत कर रही है। यहां आप को बता दें कि आश्चर्यजनक रुप से फीस बढ़ाने वाले स्कूलों पर नकेल कसने के लिए इसी वर्ष अप्रैल में यूपी सरकार ने स्व-वित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय बिल 2018 के लिए अध्यादेश को मंजूरी दी थी। यह कानून निजी स्कूलों को 8 प्रतिशत से ज्यादा फीस बढ़ने से रोकता है।
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यह अध्यादेश केंद्रीय माध्यामिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई), भारतीय स्कूल प्रमाणपत्र परीक्षा परिषद (सीआईएससीई) से संबंधित अल्पसंख्यक संस्थानों सहित सभी निजी स्कूलों और यूपी बोर्ड पर लागू होगा।
सरकार के इस अध्यादेश के तहत स्कूलों को न सिर्फ मनमाने ढंग से शुल्क बढ़ाने से रोका जा सकेंगा, बल्कि उन्हें किसी भी तरह कि कैपिटेशन फीस भी लेने की इजाजत नहीं होगी। इसके अलावा केंद्र सरकार हर साल एडमिशन फीस लेने और स्कूल ड्रेस बदलने जैसे नियमें पर भी रोक लगाने पर विचार कर रही है।