नई दिल्ली। उत्तरपूर्वी राज्य त्रिपुरा में भाजपा अपने सहयोगी के साथ माणिक सरकार के तिलस्म को भंग करने में कामयाबी हासिल की है लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर अब उसके सामने एक नई चुनौती खड़ी हो गई है। भाजपा के सहयोगी इंडीजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के नेता ने प्रदेश में आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग कर दी है। हालांकि त्रिपुरा के प्रभारी सुनील देवधर ने बताया कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है वे उनसे बात करने का आश्वासन दे रहे हैं।
गौर करने वाली बात है कि जीत के बाद प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष बिप्ल्वदेव मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। उन्होंने जीत के बाद विधानसभा तक अपने परिवार के साथ रोड शो भी किया था। बिप्लव देव ने कहा कि वे सीएम का दायित्व निभाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। बता दें कि त्रिपुरा में पिछले 25 सालों से माणिक सरकार यानी कि लेफ्ट पार्टी की सरकार रही है और भाजपा का यहां कोई अस्तित्व नहीं रहा है। प्रधानमंत्री और भाजपा कार्यकर्ताओं की जीतोड़ मेहनत का नतीजा है कि वहां कमल खिला है।
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यहां बता दें कि त्रिपुरा में भाजपा की सहयोगी पार्टी आईपीएफटी के अध्यक्ष एनसी देबबर्मा ने कहा कि त्रिपुरा में मिली भारी जीत में यहां के आदिवासियों ने काफी अहम भूमिका निभाई है ऐसे में यहां का मुख्यमंत्री भी कोई आदिवासी नेता ही होना चाहिए। मुख्यमंत्री के पद के लिए बिप्लवदेब का नाम सबसे आगे होने के सवाल पर एनसी देबबर्मा ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया।