नई दिल्ली । केंद्र की मोदी सरकार ने लोकसभा का सत्र शुरु होने के साथ ही शुक्रवार को एक बार फिर से पूर्व सरकार का बहुप्रतिक्षित 'तीन तलाक बिल' लोकसभा (loksabha) में पेश किया । कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस बिल को सदन में रखा, लेकिन इसके साथ ही कांग्रेस समेत विपक्ष के कुछ दलों ने इस बिल पर हंगामा शुरू कर दिया । कांग्रेस की ओर से कहा गया कि वह इस बिल के खिलाफ नहीं है लेकिन वे इस बिल के ड्राफ्ट के खिलाफ हैं। कांग्रेसी सांसद शशि थरूर ने इस दौरान कहा कि सिर्फ एक समुदाय के बजाए पूरे समाज के लिए बिल बनाया जाए । इतना ही नहीं अन्य दलों के कुछ नेताओं ने इसे संविधान के खिलाफ बताया । वहीं असदुद्दीन ओवैसी ने इस दौरान बिल के नए ड्राफ्ट का विरोध करते हुए कहा कि नए बिल में मुसलमान को तीन साज की सजा का प्रावधान है । यह बिल मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में नहीं है।
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बिल सदन में पेश करते हुए कहा कि पिछले कार्यकाल में हमने लोकसभा में यह बिल पास करवा लिया था । राज्यसभा में यह बिल अटक गया था और सरकार का कार्यकाल खत्म होने पर इसे फिर से इस सरकार में लोकसभा में पेश किया गया है । उन्होंने कहा कि यह बिल मुस्लिम महिलाओं के हितों की रक्ष करेगा । यह बिल संविधान की प्रक्रिया के तहत लाया गया है । उन्होंने कहा कि हमें संसद में कानून बनाने के लिए भेजा गया है । लोकसभा को अदालत न बनाएं , इसे सदन ही रहने दें।
इस दौरान हंगामा होने पर स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा कि मंत्री सिर्फ बिल पेश करने की अनुमति मांग रहे हैं और किसी सदस्य की आपत्ति है तो फिर मैं जवाब देने के लिए तैयार हूं । इसके बाद हंगामे के बीच रविशंकर प्रसाद ने तीन तलाक बिल लोकसभा में पेश कर दिया ।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने बिल का ड्राफ्ट का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि इस बिल से मुस्लिम महिलाओं के हितों की रक्षा नहीं होगी बल्कि उनकी दिक्कतों और बढ़ जाएंगी । थरूर के बाद ओवैसी ने भी तीन तलाक बिल का विरोध किया है । स्पीकर ने कहा कि आप बिल पर चर्चा हो तब इसके खिलाफ बोलना अभी तो सिर्फ बिल सदन में रखा गया है।
नए ड्राफ्ट को लेकर कांग्रेस समेत विपक्ष के कुछ अन्य दलों ने हंगामा शुरू कर दिया । इस दौरान ओवैसी ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि यह संविधान के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि इस बिल से सिर्फ मुस्लिम पुरुषों को सजा मिलेगी, सरकार को सिर्फ मुस्लिम महिलाओं से हमदर्दी क्यों है, केरल की हिन्दू महिलाओं की चिंता सरकार क्यों नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक ठहराया है। इस बिल के बाद जो पति जेल जाएंगे उनकी पत्नियों का खर्चा क्या सरकार देने के लिए तैयार है।