नई दिल्ली। देश के सरकारी दफ्तरों में काम किस रफ्तार से होता है यह बात किसी से छिपी हुई नहीं है। वहीं बाबुओं और कर्मचारियों द्वारा रिश्वत लेने की खबरें भी आम होने लगी हैं। इन बातों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने अब इसकी तैयारी और तेज कर दी है। सरकार के इस कदम से अब घूस लेने वालों के साथ ही घूस देने वालों को भी सजा भुगतना पड़ सकता है। केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने बताया कि भ्रष्टाचार निरोधक (संशोधन) विधेयक 2018 को मंजूरी मिल जाने के बाद उन अधिकारियों को काम करने में काफी राहत मिलेगी जो अपना काम ईमानदारी से करते हैं। गौरतलब है कि लोकसभा में पास किए गए बिल में अपने कामों को पूरा कराने के लिए कर्मचारियों को रिश्वत देने वालों के लिए भी सजा का प्रावधान किया गया है। जितेन्द्र सिंह ने कहा कि विधेयक में भ्रष्टाचार के मामलों में शीध्र सुनवाई सुनिश्चित करने का प्रावधान है। मंत्री ने कहा कि सरकार भ्रष्टाचार के लिए जीरो टॉलरेंस के प्रति बचनबद्ध है। विधेयक में रिश्वत लेने के दोषियों पर जुर्माने के साथ साथ तीन से लेकर सात साल जेल की सजा का प्रावधान कर दिया गया है। यह विधेयक भ्रष्टाचार की रोकथान अधिनियम 1988 में संशोधन करता है।
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इस विधेयक में रिश्वत लेने के दोषियों पर जुर्माने के साथ साथ 3 से लेकर 7 साल तक जेल की सजा का प्रावधान किया गया है। बता दें कि भ्रष्टाचार निरोधक कानून करीब तीन दशक पुराना है इसमें संशोधन की कवायद 2013 में हुई थी। इस विधेयक को पहले संसदीय समिति के पास विचार के लिए भेजा गया था। इसके बाद विधि विशेषज्ञों की समिति और फिर वर्ष 2015 में चयन समिति के पास भेजा गया।
इस समिति ने 2016 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। 2017 में बिल को संसद में लाया गया, लेकिन इस पर कोई फैसला तब नहीं हो सका था। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के 2016 के सर्वे के मुताबिक एशिया प्रशांत क्षेत्र के 16 देशों में भारत में सबसे ज्यादा रिश्वत दी जाती है। इन 16 देशों में भारत की रिश्वत दर सबसे ज्यादा है। इस सर्वे में शामिल किए गए भारत के 69 फीसदी लोगों ने स्वीकार किया कि उन्होंने सार्वजनिक सेवा हासिल करने में यानी सरकारी काम करवाने में कभी ना कभी रिश्वत जरूर दी है।