Saturday, May 18, 2024

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मोदी ने बनाया मास्टरप्लान 'दस का दम', लोकसभा संग 10 राज्यों में एकसाथ विधानसभा चुनाव कराकर जीतने की बिछाई बिसात

दीपक गौड़
मोदी ने बनाया मास्टरप्लान

नई दिल्ली । यूं तो लोकसभा चुनावों में अभी काफी समय है, लेकिन टीम मोदी की इन चुनावों को लेकर बन रही रणनीति की भनक कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को लग चुकी है, तभी उन्होंने कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में कार्यकर्ताओं से विधानसभा के साथ लोकसभा चुनावों के लिए भी तैयार रहने का आह्वान किया। असल में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार मई 2019 को अपने कार्यकाल पूरा करेगी, लेकिन टीम मोदी ने विधानसभा चुनावों के साथ ही लोकसभा चुनावों में जीत का दांव चलने की रणनीति बना ली है। सूत्रों का कहना है कि मई 2019 के बजाए इस बार दिसंबर 2018 के करीब लोकसभा चुनावों का भी बिगुल बजने की रणनीति बन चुकी है, जिसके मद्देनजर सरकार के सभी दिग्गज नेताओं को अपनी जिम्मेदारी के लिए तैयार रहने की हिदायत दी जा चुकी है। सूत्रों के अनुसार, भाजपा राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव के साथ-साथ लोकसभा चुनावों को लेकर भी अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दे रही है। ऐसे में इस साल दिसंबर में ही लोकसभा चुनाव के साथ 10 राज्यों के विधानसभा चुनाव की रणनीतिक बिसात बिछाई जा रही है। भाजपा की इस रणनीति के तहत पीएम मोदी लोकसभा चुनाव के साथ ही इन 10 राज्यों के विधानसभा चुनाव के मुख्य केंद्र में आ जाएंगे।

लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव

सूत्रों का कहना है कि टीम मोदी चुनावों को लेकर जिस रणनीति पर काम कर रही है, उसमें इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों के साथ ही लोकसभा चुनावों की तैयारी कर जनता की मानसिकता में बदलाव की तैयारी की जा रही है। इसके लिए भाजपा शासित महाराष्ट्र , हरियाणा और झारखंड की सरकार को दांव पर लगाने से भी पार्टी को परहेज नहीं है। लोकसभा को समय से पहले करवाए जाने के साथ ही इन राज्यों के विधानसभा चुनाव भी करीब 10 माह पहले कराए जाने की तैयारी की जुगत लगाई जा रही है। हालांकि इन राज्यों की विधानसभा का कार्यकाल अक्टूबर-नवंबर 2019 में पूरा होगा। अगर ऐसा संभव हो पाया तो छह राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएंगे। 

भाजपा की रणनीति को बिहार का साथ

अब भले ही लोकसभा के साथ कई राज्यों के विधानसभा चुनाव भी करवाए जाने की रणनीति पर काम हो रहा हो, लेकिन बिहार की नीतीश कुमार सरकार पहले से भाजपा की रणनीति में उनके साथ होने के संकेत दे चुके हैं। वह कह चुके हैं कि लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव करवाए जाने की पहल का वह स्वागत करेंगे।

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कुछ चुनौतियों पर काम जारी


हालांकि इस रणनीति को अमलीजामा देने के लिए भाजपा NDA के सहयोगी चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और चंद्रशेखर राव की तेलंगाना पार्टी को भी निर्धारित समय से पहले चुनाव करवाने के लिए मनाने में जुटी है। इससे आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भी समय से 5 माह पहले लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव करवाने जाने की रणनीति है। इसी क्रम में सिक्कम के चुनाव भी 5 महीने पहले कराने की तैयारी है।

सत्ता विरोध लहर को कम करना लक्ष्य

असल में लोकसभा चुनावों के साथ ही करीब 10 राज्यों के विधानसभा चुनावों की रणनीति बनाकर मोदी सरकार एक तीर से कई निशाने साधने की तैयारी कर रही है। दोनों चुनाव एक साथ करवाने पर जहां सभी चुनावों के केंद्र में भाजपा की ओर से मोदी आ जाएंगे, वहीं सत्ता विरोध लहर को भी खत्म करने में भाजपा की यह रणनीति काफी कारगर साबित होगी। 

भाजपा झेल रही विरोधी लहर

अगर बात भाजपा के शासन वाले राज्यों की करें तो कुछ चुनावी राज्यों में भाजपा को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है। राजस्थान में जहां हाल में हुए उपचुनावों में भाजपा को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है, वहीं छत्तीसगढ़ में रमण सिंह और मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह की सरकार भी लंबे समय से होने के चलते वहां सत्ता विरोध लहर होना लाजमी है। इसी क्रम में महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार पर भी संकट के बादल तो छाए ही हुए हैं। राज्य में शिवसेना ने भाजपा से अपने राजनीतिक गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर दिया है। इसी क्रम में हरियाणा में खट्टर और झारखंड में रघुवर दास का संकट यही है कि दोनों मोदी की छाया तले ही सीएम हैं। ऐसे में दोनों राज्यों में भाजपा के खिलाफ विपक्ष माहौल बनाने में जुटा है।

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