नई दिल्ली । तिब्बत सीमा पर चीन के साथ जारी गतिरोध के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार लेह के दौरे पर पहुंच गए हैं। पीएम मोदी की इस अचानक हुई यात्रा से फौज के आला अधिकारियों से लेकर देश के कई राजनीतिक दलों के नेता तक चौंक गए हैं। पीएम मोदी की इस लेह यात्रा के दौरान उनके साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) बिपिन रावत भी मौजूद रहे । यहां पीएम मोदी को सेना, वायुसेना के अफसरों ने मौजूदा स्थिति की जानकारी दी । चीन के साथ तनाव की स्थिति में पीएम मोदी का पूरी स्थिति का जायजा लेने के लिए लेह जाने से सेना में उत्साह का संचार हुआ है । हालांकि इस दौरे पर सिर्फ CDS बिपिन रावत को ही आना था, लेकिन अंतिम समय में पीएम मोदी ने खुद पहुंचकर सभी को चौंका दिया ।
जानकारी के अनुसार , शुक्रवार सुबह पीएम मोदी सीडीएmrस बिपिन रावत के साथ लेह में नीमू की फॉरवर्ड पोस्ट पर पहुंचे । यह पोस्ट समुद्री तल से 11 हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद है, जिसे दुनिया की सबसे ऊंची और खतरनाक पोस्ट में से एक माना जाता है । यहां सेना के वरिष्ठ अफसरों ने उन्हें पूरी स्थिति की जानकारी दी । इस दौरान पीएम मोदी ने सेना के अफसरों से कई सवाल जवाब भी किए। सीडीएस बिपिन रावत के साथ इस दौरान सेना प्रमुख एमएम नरवणे भी लेह में मौजूद हैं ।
हालांकि पीएम मोदी ने अपने इस औचक दौरे में 14 कॉर्प्स के अधिकारियों से बात की । इस दौरान नॉर्दन आर्मी कमांड के लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी, लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह भी मौजूद रहे। असल में पिछले दो महीने में चीन के साथ सैन्य और डिप्लोमेटिक स्तर पर कई लेवल की बात हो गई है, जिसमें माहौल को शांत करने की कोशिश की गई है ।
बता दें कि मई से ही चीन के साथ बॉर्डर पर तनाव जारी है और बॉर्डर पर लगातार गंभीर स्थिति बनी हुई है । गत शुक्रवार को सिर्फ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को लेह जाना था, लेकिन गुरुवार को उनके कार्यक्रम में बदलाव कर दिया गया । फिर तय हुआ था कि सिर्फ बिपिन रावत ही लेह जाएंगे ।
पको बता दें कि लद्दाख बॉर्डर पर तनाव के बीच 15 जून को गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी । इस झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे, जबकि कुछ जवान घायल भी हुए थे । इस झड़प में चीन के भी काफी जवानों को नुकसान हुआ था, लेकिन चीन ने आंकड़ा जारी नहीं किया था । इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच गतिरोध चरम पर है । हालांकि भारत ने अपनी ओर से काफी आक्रामक रुख अख्तियार किया हुआ है , जिसके आगे कई बार चीन दबाव में भी नजर आया है ।