Sunday, May 5, 2024

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इसरो की ‘नई उड़ान’ रचेगी इतिहास, अमेरिका और रूस को टक्कर

अंग्वाल न्यूज डेस्क
इसरो की ‘नई उड़ान’ रचेगी इतिहास, अमेरिका और रूस को टक्कर

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) जल्द ही अंतरिक्ष की दुनिया में एक नया इतिहास रचने जा रहा है। 16 सितंबर 2018 को इसरो अपना यान विदेशी उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित करने के लिए भेजेगा। इस यान के साथ कोई भी भारतीय उपग्रह को नहीं भेजा जा रहा है। भारत की यह उड़ान पूरी तरह से व्यावसायिक होगी। इस उड़ान के साथ ही भारत उन देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा जिनके पास विदेशी उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने की अपनी तकनीक है। बता दें कि इससे पहले रूस और अमेरिका के पास ऐसी तकनीक उपलब्ध है।

गौरतलब है कि 16 सितंबर को श्री हरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से इस यान को अंतरिक्ष में  भेजा जाएगा। इस यान के साथ ब्रिटेन 2 उपग्रहों को भेजा जाएगा। करीब 450 किलोग्राम वजन वाले इन उपग्रहों को धरती की कक्षा में स्थापित किया जाएगा। 

यहां बता दें कि इसरो के द्वारा होने वाला यह उड़ान पूरी तरह से व्यावसायिक होगा। इसरो के पीएसएलवी सी-42  की उड़ान के साथ ही भारत उन देशों में शामिल हो जाएगा जिसके पास विदेशी उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने की खुद की तकनीक मौजूद है। इस यान की कुछ विशेषताएं इस प्रकार से हैं। 

-16 सितंबर, 2018 को इसरो अपने ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी सी-42 दो ब्रिट्रिश उपग्रह- नोवासार और एस 1- 4 को धरती की कक्षा में स्थापित करेगा।

- 450 किलोग्राम वजन के इन उपग्रहों का निर्माण ब्रिट्रिश कंपनी सर्रे सैटेलाइट टेक्नोलॉजी लिमिटेड (एसएसटीएल) ने किया है।

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- इस बाबत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की वाणिज्यिक इकाई एन्ट्रिक्स कोर्पोरेशन लिमिटेड से इसके प्रक्षेपण का करार हुआ था।

- उपग्रह नोवासार एक तकनीक प्रदर्शन उपग्रह मिशन है। इसमें कम लागत वाला एस बैंड सिंथेटिक रडार भेजा जाएगा। इसे धरती से 580 किलोमीटर ऊपर सूर्य की समकालीन कक्षा (एसएसओ) में स्थापति किया जाएगा।

- उपग्रह एसन 1-4 एक भू-अवलाकेन उपग्रह है, जो एक मीटर से भी छोटी वस्तु को अंतरिक्ष से देख सकता है। ये उपग्रह एसएसटीएल के अंतरिक्ष से भू अवलोकन की क्षमता को बढ़ाएगा। 

- इसरो की यह पूर्ण रूप से व्यावसायिक उड़ान होगी। खास बात यह है कि इसके साथ कोई भी भारतीय उपग्रह नहीं भेजा जाएगा।

 

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