नई दिल्ली। पानी की बोतल के इस्तेमाल होने के बाद रीफिलिंग कर रेलयात्रियों को बेचने के गोरखधंधे पर सरकार लगाम लगाने जा रही है। इस मामले में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने रेलवे स्टेशनों पर प्लास्टिक बोतल पीसने के मशीन लगाने का फैसला किया है। सरकार के इस कदम से रेलवे स्टेशनो पर सफाई रहेगी और पुरानी बोतलों का दोबारा इस्तेमाल नहीं हो सकेगा। इससे यात्रियों को शुद्ध पेयजल मिलने की गांरटी रहेगी। रेलवे बोर्ड ने 4 जुलाई को रेल मंत्रालय के सार्वजनिक उपक्रम राइट्स को प्लास्टिक बोतल क्रशिंग मशीन प्लांट स्थापना के साथ प्लांट में बोतलों की आपूर्ति, परिचालन और रखरखाव का प्रबंधन करने को कहा है।
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बता दें कि रेलवे में सालाना 100 करोड़ से अधिक बोतलबंद पेयजल की बिक्री होती है। इसके साथ ही 6.2 लाख बोतलों की रेल नीर रोज आपूर्ति करता है। शेष 35 लाख बोतलबंद पेयजल की आपूर्ति दूसरी कंपनियां करती है।
2 हजार स्टेशनों पर लगेगी बोतल पीसने की मशीन
रेलवे ने प्रथम चरण में देशभर के 16 जोन और 70 डिवाजन में 2 हजार प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर पीबीसीएम लगाने का ठेका 8 साल के लिए दिया जाएगा। योजना को सफल बनाने के लिए कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व फंड का इस्तेमाल किया जाएगा।
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बोतलों का इस्तेमाल मैन्युअल किया जाता है
एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, अभी तक प्लास्टिक की बोतलों का निष्पादन मैन्युअल किया जाता है। लेकिन मशीने लगने से यह काम आसान हो जाएगा। आधिकारी ने बताया कि क्रशिंग मशीन लगाने से इस्तेमाल की गई पानी की बोतल को रीफिल कर फिर से बेचने की समस्या हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी। इसके साथ ही इस कदम से पर्यावरण बचाने में भी सहायता मिलेगी।