Saturday, May 4, 2024

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रेहिंग्याओं ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई गुहार, केंद्र ने हलफनामा पेश कर देश के लिए बताया खतरा

अंग्वाल संवाददाता
 रेहिंग्याओं ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई गुहार, केंद्र ने हलफनामा पेश कर देश के लिए बताया खतरा

श्रीनगर। जहां एक तरफ पीएम मोदी की सरकार देश में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस म्यांमार भेजने के प्रयास कर रही है, तो वहीं दूसरी तरह जम्मू में रह रहे 7,000 रोहिंग्या शरणार्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर केंद्र सरकार द्वारा उन्हें वापस भेजने के आदेश को रोकने की मांग की है। याचिका में इन लोगों ने कहा कि सरकार का उन्हें कट्टरवादी कहना गलत है। वे मुसलमान हैं, इसलिए उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। जबकि तिब्बती शरणार्थियों के बारे में सरकार का यह रूख नहीं है।

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बता दें कि रोहिंग्या मुसलमान जम्मू क्षेत्र में 23 कैंपों में रह रहे हैं। मुख्य न्यायधीश जस्टिस दीपक मिश्रा की पीठ ने कहा कि इस मामले में सोमवार को अन्य संबंधित याचिकाओं के साथ सुनवाई होगी। याचिका में शारणार्थियों ने कहा है कि वे किसी भी आंतकवादी गतिविधि में शामिल नहीं है। वे पुलिस को पूरा सहयोग करते हैं। सरकार उन्हें आंतकवादी घोषित कर रही है। यदि वापस म्यांमार भेजा गया तो उन्हें मार दिया जाएगा।

हाल ही में आरएसएस के विचारक गोविंदाचार्य और चेन्नई के इंडिया कलेक्टिव ट्रस्ट ने भी कोर्ट में अपनी याचिकाएं दायर की हैं, जिसमें इन रोहिंग्या शरणार्थियों को देश के लिए खतरनाक बताया गया है। साथ ही मांग की है कि रोहिंग्या शरणार्थियों को उनके देश वापस भेजा जाए। गोविंदाचार्य ने कहा कि इनकी मौजूदगी से देश का विभाजन हो सकता है। अलकायदा उन्हें जेहाद के नाम पर उकसा सकता है। ऐसी सूरत में यह भारतवासियों के लिए एक खतरा साबित हो सकते हैं। 

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