नई दिल्ली। चुनावी मौसम में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा एक बार फिर से गरमाने लगा है। पीएम मोदी द्वारा एक साक्षात्कार में न्यायिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही अध्यादेश लाने पर विचार किए जाने वाले बयान के बाद इस पर हंगामा और तेज हो गया। विश्व हिंदू परिषद ने तो यहां तक कह दिया कि हिंदू और संत समाज सुप्रीम कोर्ट के फैसले का और इंतजार नहीं कर सकती है। वहीं आरएसएस की ओर से लगातार संसद में अध्यादेश लाकर मंदिर निर्माण के मार्ग को प्रशस्त करने की बात कही जा रही है। पीएम के इंटरव्यू के बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि अयोध्या में सिर्फ राम मंदिर ही बनेगा। भागवत के बयान के बाद इस पर राजनीति और तेज हो गई है।
गौरतलब है कि अयोध्या में राम जन्मभूमि से जुड़ा मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में है और वहां से फैसला आने के बाद ही सरकार संसद में अध्यादेश ला सकती है। दूसरी तरफ बाबरी एक्शन कमेटी की ओर से यह चेतावनी भी दी गई है कि अगर मामले के कोर्ट में रहते हुए अध्यादेश लाया गया तो वह पुनर्विचार याचिका दायर करेगी जिससे इसका फैसला और लटक जाएगा।
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यहां बता दें कि पीएम मोदी द्वारा साक्षात्कार में मंदिर निर्माण को लेकर कही गई बातों के बाद विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने तो यहां तक कह दिया कि मंदिर निर्माण के लिए कोर्ट के फैसले का और इंतजार नहीं किया जा सकता है। पूरा साधु समाज ऐसा मान रहा है कि सरकार की ढिलाई की वजह से अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण नहीं हो पा रहा है।
अब प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में 30 जनवरी से 1 फरवरी तक धर्म संसद का आयोजन किया जाएगा। यहीं से मंदिर निर्माण के लिए आगे की रणनीति निर्धारित की जाएगी। इस बीच आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान अयोध्या में सिर्फ राम मंदिर ही बनेगा राजनीतिक गलियारों मंे चर्चा का विषय बन गया है। वहीं भाजपा की नेता उमा भारती ने कहा कि लोगों को पीएम मोदी के द्वारा कही गई बातों का समर्थन करना चाहिए क्योंकि न्यायालय से कोई फैसला आने के बाद ही संसद में अध्यादेश लाया जा सकता है। आपको बता दें कि पीएम मोदी भी कह चुके हैं कि अदालत से फैसला आने के बाद जो भी जरूरी कदम होगा वह सरकार उठाएगी।