Tuesday, May 7, 2024

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सचिन ने फेसबुक पर दी 'राइट टू प्ले' पर स्पीच, भावुक अपील के साथ खेल-खिलाड़ियों का उठाया मुद्दा...पढ़ें क्या कहा लिटिल मास्टर ने

अंग्वाल न्यूज डेस्क
सचिन ने फेसबुक पर दी

मुंबई । क्रिकेट इतिहास के सबसे दिग्गज बल्लेबाजों में से एक लिटिल मास्टर सचिन तेंदुलकर गुरुवार को संसद में 'राइट टू प्ले' के मुद्दे पर बोलने के लिए उठे थे, लेकिन राज्यसभा में चल रह हंगामे के चलते वह अपनी बात सदन में नहीं रख पाए। इस सब के बाद तेंदुलकर ने मैदान और पिच बदलते हुए अपनी बात को फेसबुक पर एक वीडियो डालकर देशवासियों तक पहुंचा दिया। बता दें कि सचिन अपने कार्यकाल के दौरान पहली बार राज्यसभा में 'राइट टू प्ले के मुद्दे पर बोलने के उठे थे, लेकिन 2जी घोटाले के आरोपियों को बरी किए जाने के बाद कांग्रेसियों समेत अन्य दलों ने भाजपा और पीएम मोदी के खिलाफ नारेबाजी की, जिसके चलते वह सदन में एक शब्द भी नहीं बोल पाए थे। हालांकि फेसबुक पर सचिन ने अपनी बात को ज्यादा दमदार तरीके से बिना किसी शोरगुल के रखा। अपनी भावुक अपील में सचिन ने कहा कि भारत में वो दिन काफी अहम होगा, जिस दिन एक पिता अपने बच्चे से खाने-पढ़ने के अलावा ये बी पूछेगा कि क्या आज आप खेलने गए।

क्रिकेट मेरा जीवन, पिता ने दी खेलने के लिए आजादी 

फेसबुक पर अपने साढ़े 15 मिनट के वीडियों में सचिन ने देशवासियों को नमस्कार से साथ अपनी बात की शुरुआत की। इस दौरान सचिन ने कहा कि वह कल सदन में देश की जनता तक अपनी बात पहुंचाना चाहते थे लेकिन आज इस वीडियो के माध्यम से वे बातें जनता तक पहुंचा सकूंगा। मैं कभी कभी सोचता हूं कि आज मैं यहां पहुंच सका तो आखिर कैसे। फिर सोचता हूं तो याद आता है कि क्रिकेट के लिए कैसे मेरे छोटे-छोटे कदमों ने एक मंजिल तक पहुंचा दिया। मैं याद करता हूं अपने पिता डॉ. सचिन रमेश तेंदुलकर को, जो पेशे से एक कवि और लेखक थे। लेकिन मैं आभार व्यक्त करूंगा कि उन्होंने मुझे खेलने की आजादी दी। 

खिलाड़ी के तौर पर हेल्दी इंडिया पर जोर दूंगा

सचिन ने अपनी इस स्पीच में कहा कि यूं तो देश में कई मुद्दे हैं जैसे आर्थिक वृद्धि, गरीबी, खाद्य सुरक्षा समेत कई अन्य लेकिन मैं एक खिलाड़ी रहा हूं इसलिए मैं फिटनेस हेल्थ और खेल पर बात कहूंगा। यूं तो हमारे देश को सबसे युवा शक्ति वाले देश के रूप में जाना जा रहा है, लेकिन क्या हम स्वस्थ भी हैं। यूं तो कहा जाता है कि यंग हैं तो फिट हैं, लेकिन यह सही नहीं है। हमें डायबेटिक देशों वाले श्रेणी में रखा जाता है। इस दौरान सचिन ने कहा कि आज जरूरत है कि हमारी सेहत ठीक रहे, हमारा स्वास्थ ठीक रहे और हम कोई खेल खेलें। इसी के लिए हमने एक योजना बनाई है। 

मोबाइल फोन के जमाने में इनमोबाइल हो रहे 

सचिन ने अपनी स्पीच में कहा कि मोबाइल फोन के जमाने में हम इनमोबाइल होते जा रहा है। हमारे खेलने और शारीरिक श्रम के सत्र कम हो रहे हैं, जबकि खाने के बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में जरूरत है कि हम ऐसा महौल बनाएं जहां लोगों को स्वस्थ रखा जा सके। ज्यादा से ज्यादा लोगों को शारीरिक श्रम करने की जरूरत है। 

खेल के भी नंबर मिलें


अपनी स्पीच में लिटिल मास्टर ने कहा कि आज जरूरत है कि हम अपनी पढ़ाई के साथ खेलों को भी अपनी शिक्षा व्यवस्था से जोड़ दें। इसके लिए कई संबंधित विभागों से भी बात की गई है। जरूरत है कि जिला स्तर, प्रदे्श स्तर, राष्ट्रीय स्तर और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक इन बच्चों को पहुंचाया जाए। इन बच्चों को खेल में बढ़ावा दिया जाए। इन्हें खेल के नंबर दिए जाएं अन्य विषयों की तरह।

लक्ष्मी को लक्ष्मी का दर्जा दें

इस दौरान सचिन ने कहा कि जब घर में बेटी पैदा होती है तो हम कहते हैं कि घर में लक्ष्मी आई है लेकिन हमें इन्हें लक्ष्मी की तरह रखना भी होगा। देश में कई ऐसी ही लक्ष्मी मसलन , पीवी सिधू, साईना नेहवाल, सानिया मिर्जा, साक्षी मलिक, मिताली राज जैसी बेटियां हैं, जिन्होंने देश का नाम रौशन किया है। मैं इनके माता-पिता को बधाई देता हूं। जिन्होंने हम सब को गौरव के पल दिए हैं।

जिला-प्रदेश स्तर के खिलाड़ियों के लिए क्या..

इस दौरान सचिन ने खिलाड़ियों से जुड़ा एक बड़ा अहम मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि अमूमन 35-40 की उम्र में एक खिलाड़ी रिटायर हो जाता है लेकिन अगर एक प्रोफेशनल की बात करें तो इस उम्र में या तो वो आगे बढ़ रहा होता है, या अपने जीवन में स्थिर कर चुका होता है। ऐसे में हमारे राष्ट्रीय स्तर और अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को तो कुछ संस्थानों की मदद मिल जाती है, जिसकी मैं सराहना कहता हूं लेकिन जिला और प्रदेश स्तर के खिलाड़ियों को सही से नौकरी तक नहीं मिल पाती। ये अपनी आर्थिक स्वतंत्रता के लिए भटकते हैं। हमें इनके लिए भी सोचना होगा। इस दौरान सचिन ने ऐसे कई खिलाड़ियों के बारे में भी बताया जो अपने बेहतरीन खेल जीवन के बावजूद रोजी-रोटी के लिए परेशानी झेलते रहे। 

देखें पूरा वीडियो...

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