नई दिल्ली। माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए आने श्रद्धालुओं को सुप्रीमकोर्ट ने एक झटका दिया है। सर्वोच्च अदालत ने वैष्णो देवी के ना रास्ते को 24 नवंबर तक खोले जाने के आदेश पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की तरफ से दाखिल याचिका की सुनवाई के बाद यह फैसला दिया है। इसके साथ ही एनजीटी में याचिका दाखिल करने वाले से दो हफ्तों के अंदर जवाब मांगा है। बता दें कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी)ने माता के दर्शन के लिए आने वाले भक्तों की संख्या भी सीमित करने के आदेश दिए थे। अब एक दिन में 50 हजार भक्त की माता के दरबार तक पहुंच सकेंगे।
कटरा में रोकने के निर्देश
गौरतलब है कि वैष्णो देवी के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की तादाद की वजह से पर्यावरण को होने वाले नुकसान के मद्देनजर एनजीटी ने श्रद्धालुओं की संख्या को नियंत्रित करने के आदेश दिए थे। एनजीटी ने अपने आदेश में ये भी कहा है कि यदि श्राइन बोर्ड को इससे ज्यादा श्रद्धालुओं के यात्रा पंजीकरण की सूचना मिलती है तो अतिरिक्त श्रद्धालुओं को कटरा और अर्धकुंवारी में ही रोकने की व्यवस्था सुनिश्चित कर दी जाए।
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नवरात्र में होगा असर
इसके साथ ही वैकल्पिक रास्तों को 24 नवंबर तक यात्रियों के लिए खोले जाने के आदेश दिए थे। इसके खिलाफ माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने सर्वोच्च अदालत में एनजीटी के आदेश के खिलाफ याचिका दासर की थी। बोर्ड का कहना है कि नया रास्ता अगले साल फरवरी तक यात्रियों के लिए खोला जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने वैष्णों देवी श्राइन बोर्ड की याचिका पर नोटिस जारी किया है हालांकि कोर्ट ने एनजीटी के बाकी निर्देशों पर रोक नहीं लगाई है। भक्तों की संख्या नियंत्रित होने का सबसे ज्यादा असर नवरात्र में देखने को मिल सकता है। बता दें कि नवरात्र के समय हर साल औसतन 50-60 हजार श्रद्धालु प्रतिदिन माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं ऐसे में श्रद्धालुओं की संख्या सीमित करने की वजह से उनके ठहरने के लिए भी पुख्ता इंतजाम करना श्राइन बोर्ड के लिए चुनौती भरा काम होगा।