नई दिल्लीः मोबाइल टॉवर के रेडिएशन से कैंसर होने की बहस के बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है। ग्वालियर के एक कैंसर पीड़ित की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मोबाइल कंपनी से 7 दिनों के भीतर अपना टॉवर बंद करने को कहा है। मोबाइल टॉवर रेडिएशन का विरोध कर रहे लोगों के लिए यह एक बड़ी कामयाबी है। यह कामयाबी हासिल की है ग्वालियर के हरीश चंद तिवारी ने।
पड़ोसी के घर लगा था अवैध टॉवर
हरीश को एक तरह का कैंसर है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कि उनके पड़ोसी के घर में लगे मोबाइल टॉवर के रेडिएशन से उन्हें कैंसर हुआ है और इसे साबित भी किया। इसी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मोबाइल टॉवर बंद करने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया। हरीश की अपील पर सुनवाई करते हुए जस्टिस रंजन गोगोई और नवीन सिन्हा की बेंच ने बीएसएनएल को 7 दिनों के भीतर यह टॉवर बंद करने का आदेश दिया है।
जहां काम करते थे, उसके पास था टॉवर
हरीश चंद तिवारी ने पिछले साल अपनी वकील निवेदिता शर्मा के साथ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। अपनी शिकायत में हरीश ने कहा था कि वह प्रकाश शर्मा के घर काम करते हैं। वहां पड़ोसी के घर की छत पर 2002 में अवैध रूप से बीएसएनएस ने मोबाइल टॉवर लगाया। यह टॉवर पिछले 14 साल से उन्हें हानिकारक रेडिएशन का शिकार बना रहा है। तिवारी ने अपनी अपील में कहा है कि उनके काम करने की जगह से पड़ोसी का घर 50 मीटर से भी कम दूरी पर है। काम करने के दोरान वह लंबे समय के लिए मोबाइल टॉवर के रेडिएशन के संपर्क में रहे जिससे उन्हें ‘हॉजकिन्स लिम्फोमा’ (एक तरह का कैंसर) हो गया।