Sunday, May 5, 2024

Breaking News

   एमसीडी में एल्डरमैन की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर SC 8 मई को करेगा सुनवाई     ||   यूक्रेन से युद्ध में दिसंबर से अब तक रूस के 20000 से ज्यादा लड़ाके मारे गए: अमेरिका     ||   IPL: मैच के बाद भिड़ गए थे गौतम गंभीर और विराट कोहली, लगा 100% मैच फी का जुर्माना     ||   पंजाब में 15 जुलाई तक सरकारी कार्यालयों में सुबह 7:30 बजे से दोपहर दो बजे तक होगा काम     ||   गैंगस्टर टिल्लू की लोहे की रोड और सूए से हत्या, गोगी गैंग के 4 बदमाशों ने किया हमला     ||   सुप्रीम कोर्ट ने 'द केरल स्टोरी' पर बैन लगाने की मांग वाली याचिका पर तुरंत सुनवाई से किया इनकार     ||   नीतीश कटारा हत्याकांड: SC में नियमित पैरोल की मांग करने वाली विशाल यादव की याचिका खारिज     ||   'मैंने सिर्फ इस्तीफा दिया है, बाकी काम करता रहूंगा' नेताओं के मनाने पर बोले शरद पवार     ||   सोनिया गांधी दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में भर्ती    ||   कर्नाटक हिजाब केस में SC ने तुरंत सुनवाई से इंकार किया    ||

गूगल, याहू, माइक्रोसाफ्ट पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती, मानना ही होगा भारतीय कानून

अंग्वाल न्यूज डेस्क
गूगल, याहू, माइक्रोसाफ्ट पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती, मानना ही होगा भारतीय कानून

नई दिल्लीः प्रसव पूर्व लिंग परीक्षण(पीएनडीटी) से संबंधित विज्ञापनों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि गूगल, माइक्रोसाफ्ट और याहू जैसे सर्च इंजनों को देश का कानून मानना होगा और वह इसका उल्लंघन नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट ने गूगल, याहू और माइक्रोसाफ्ट सर्च इंजन को पीएनडीटी से संबंधित विज्ञापनों की पहचान कर उन्हें हटाने के लिए तत्काल विशेषज्ञों की कमेटी बनाने के लिए कहा है। अदालत ने दो टूक कहा कि आपको हर हालत में भारतीय कानून को मानना पड़ेगा।

सर्च इंजन की दलील पर एतराज

जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच को सर्च इंजनों की यह दलील ठीक नहीं लगी कि उनके लिए पीएनडीटी से संबंधित विज्ञापनों को पूरी तरह से हटाना संभव नहीं है। बेंच ने कहा कि भारतीय कानून का पालन करते हुए सभी सर्च इंजन को पीएनडीटी से संबंधित विज्ञापनों को हटाना होगा। बेंच ने सभी कंपनियों से सवाल किया कि आखिर वे पीएनडीटी को लेकर भारतीय कानूनी प्रावधान को मानने के प्रति सुस्त क्यों हैं, जबकि यह देखा गया है कि यहीं कंपनियां दूसरे देशों में इस तरह के कानूनों का पालन कर रही हैं।


बाकी देशों में तो यहा क्यों नहीं

बेंच ने कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं तो भारत में ऐसा क्यों नहीं हो सकता। वास्तव में सर्च इंजन का कहना है कि वह भारतीय कानून का सम्मान करते हैं लेकिन इस संबंध में आंतरिक कमेटी के गठन को लेकर उनके समक्ष कई परेशानियां हैं। इस पर बेंच ने कहा कि हमारा उद्देश्य देश में लिंगानुपात में हो रही कमी पर लगाम लगाना है। बेंच ने केंद्र सरकार को विज्ञापन के लिए नोडल एजेंसी का प्रचार-प्रसार करने के लिए कहा है, जिससे लोग इसके बारे में जान सकें और एजेंसी से संपर्क कर सकें। अदालत द्वारा सुझाई गई प्रक्रिया के तहत, पीएनडीटी से संबंधित शिकायतों को नोडल एजेंसी की जानकारी में लाना होता है। नोडल एजेंसी वेबसाइट को इसके बारे में जानकारी देती है और उनसे गैरकानूनी विज्ञापनों को हटाने का निर्देश देती है।

 

Todays Beets: