Monday, May 13, 2024

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तीन तलाक पर सुनवाई के लिए समर ब्रेक में भी खुलेगा सुप्रीम कोर्ट, जज 11 मई से लगातार करेंगे सुनवाई

अंग्वाल न्यूज डेस्क
तीन तलाक पर सुनवाई के लिए समर ब्रेक में भी खुलेगा सुप्रीम कोर्ट, जज 11 मई से लगातार करेंगे सुनवाई

नई दिल्लीः तीन तलाक मामले की अहमियत को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला लिया है। चीफ जस्टिस जेएस खेहर के अनुसार इस बार सुप्रीम कोर्ट के 15 जज गर्मियों की छुट्टियों पर भी काम करेंगे और तीन तलाक मामले की सुनवाई करेंगे। इसके अलावा मुस्लिमों के व्यक्तिगत कानूनों के तहत बहुविवाह सहित संवैधानिक महत्व के तीन अन्य मामलों की भी सुनवाई इसी समर ब्रेक के दौरान होगा। इन सभी मामलों पर संविधान पीठ 11 मई से सुनवाई करेगी।

28 में से 15 जज करेंगे काम

इस बार के समर ब्रेक में काम करने के लिए 5-5 जजों वाली 3 संविधान पीठ बनाई गई हैं, जो इन मामलों की सुनवाई करेंगी। आमतौर पर समर ब्रेक में 2 जजों की एक बेंच काम करती है, जो जरूरी मामलों की सुनवाई इस समर ब्रेक के दौरान करती है। चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति जेएस खेहर ने गुरुवार को बताया कि गर्मी की छुट्टियों में तीन अलग-अलग संविधान पीठ काम करेंगी। इनके गठन को मंजूरी दे दी गई है। अगर इन मामलों की सुनवाई अब न हो सकी, तो वर्षों तक इनका निपटारा नहीं हो पाएगा। इस बार समर ब्रेक के दौरान मुस्लिम समुदाय में तीन तलाक, निकाह हलाला व बहुविवाह की वैधता, व्हाट्सएप व फेसबुक यूजर्स के लिए निजता के अधिकार और भारत में जन्मे अवैध प्रवासियों के बच्चों को भारतीय नागरिकता देने के मसले पर पांच जजों वाली तीन पीठ सुनवाई करेंगी।

वकील छुट्टियों में सुनवाई से खुश नहीं


चीफ जस्टिस ने तीन तलाक मामले पर तारीख देते हुए वकीलों से कहा कि 11 मई से ट्रिपल तलाक के मसले पर सुनवाई होगी। 11-12 तारीख को इसे जुड़े मसले तय किए जाएंगे और उनका परीक्षण होगा। यदि आप चाहेंगे तो हम शनिवार-रविवार यानी 13-14 मई को भी सुनवाई कर सकते हैं। हालांकि अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी, वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, राजू रामचंद्रन सहित अन्य वकीलों को चीफ जस्टिस का यह आइडिया पसंद नहीं आया। इनका कहना था कि इन तीनों मामलों में उन्हें अपनी दलीलें रखनी हैं। ऐसे में तीन संविधान पीठ को एक साथ बिठाना सही नहीं होगा। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि ये तीनों ही मामले महत्वपूर्ण हैं और तीनों ही मामलों में उन्हें पेश होना है। ऐसे में मेरे लिए एक साथ तीनों पीठ के समक्ष पेश होना कैसे संभव है। उन्होंने कहा कि ग्रीष्मावकाश में सुनवाई करने के लिए वकीलों की सुविधा को भी ध्यान में रखने का प्रचलन है। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि किसी भी वकील पर कोई बाध्यता नहीं है। उन्होंने कहा, ‘हमें कोई दिक्कत नहीं हैं। अगर आप लोग तैयार नहीं हैं तो हम भी गर्मी की छुट्टियों का मजा लेंगे।’ 

पर्सनल लॉ बोर्ड को है आपत्ति

दरअसल ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) अदालत में तीन तलाक सहित मुस्लिम प्रथाओं पर सुनवाई को लेकर ऐतराज जता चुका है।  उसने 27 मार्च को सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि इन याचिकाओं पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए क्योंकि ये मसले न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र से बाहर के हैं।

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