नई दिल्ली। देश भर में होने वाले चुनाव के मद्देनजर चुनाव आयोग ने एक और बड़ा फैसला लिया है। अब सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए सांकेतिक भाषा सीखना अनिवार्य कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि चुनाव के दौरान मूक और बधिर मतदाताओं से कुशल एवं बेहतर संवाद हो सके इसके लिए चुनाव आयोग की ओर से पहली बार यह व्यवस्था लागू की है। सभी राज्यों को भी इसके आदेश दे दिए गए हैं। अब इसके लिए साइन लैंग्वेज इंस्ट्रक्टर की भर्ती की जा रही है।
गौरतलब है कि मूक और बधिर लोगों को अक्सर कई जगहों पर संवाद करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में चुनाव आयोग ने एक नई पहल की है। इसके तहत सभी राज्यों के सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए सांकेतिक भाषा (साइन लैंग्वेज) सीखना अनिवार्य कर दिया है। बताया जा रहा है कि चुनाव में दिव्यांगों के 100 फीसदी भागीदारी के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है।
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यहां बता दें कि कई बार ऐसा देखा जाता है कि नहीं बोल पाने की वजह से दिव्यांगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कर्मचारियों को इस तरह की परेशानियों से निजात दिलाने के लिए राज्यों में लैंग्वेज इंस्ट्रक्टर की नियुक्ति का काम शुरू कर दिया गया है। ये इंस्ट्रक्टर कर्मचारियों को कॉमन एटीकेट्स, लड़के/लड़की का साइन, उम्र पूछने का तरीका, वयस्क होने का संकेत, वोटर, मतदान, पता, नाम, मतदाता पहचानपत्र से जुड़े संकेतोें को बताया गया। कर्मचारियों के ई-मेल पर साइन लैंग्वेज से जुड़ी सामग्री भेजी जा रही है। व्हाट्सएप ग्रुप पर भी इस नई भाषा को सहज बनाने की कोशिश की जा रही है। चुनाव आयोग की ओर से कहा गया है कि चुनाव के बाद भी यह सिलसिला जारी रहेगा।