नई दिल्ली । संसद में गुरुवार को तीन तलाक पर चर्चा के दौरान जहां विपक्षी दलों ने इस बिल को संसद की संयुक्त सलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग की। वर्ष 2017 में लोकसभा में कांग्रेस के समर्थन से पास हुए इस बिल के नए स्वरूप को जब संसद में पेश किया गया तो विपक्षी दलों ने कई सवाल उठाने शुरू कर दिए। इस सब पर भाजपा की फायर ब्रांड नेताओं में शुमार केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने विपक्षी दलों को जमकर आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि 477 बहनें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी तीन तलाक का शिकार बनी हैं। अगर आज एक भी बहन इस तीन तलाक से पीड़ित हुई तो हम सब के लिए यह शर्मनाक है । इस दौरान जब विपक्षी दलों ने उनकी बातों को काटते हुए तंज किए तो आक्रामक अंदाज में स्मृति ईरानी ने कहा- अगर आप हजरत साहब का नाम मेरे मुंह से सुनना चाहते हैं तो मैं भी हनुमानजी का नाम आपके मुंह से सुनना चाहुंगी।
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असल में तीन तलाक का नया स्वरूप क्या हो, इसको लेकर संसद में बहस जारी है। विपक्ष के कई दल नए बिल के विरोध में है। कांग्रेस समेत कई दलों ने मांग की है कि इस नए बिल को संयुक्त सलेक्ट कमेटी में भेजा जाए। हालांकि गत वर्ष कांग्रेस के समर्थन से ही यह बिल पास हुआ था , लेकिन अब चुनावी समीकण बदलने पर कांग्रेस ने भी अपना रुख बदल दिया है। कांग्रेस ने इस बिल पर सवाल उठाए हैं। वहीं कुछ अन्य दलों ने भी इस बिल को लेकर सवाल उठाए।
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बहरहाल, इस बिल पर गुरुवार को संसद में चर्चा हुई। इस दौरान स्मृति ईरानी ने भी इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखते हुए कहा- आज जरूरत है कि एक भी बहन के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए । उन्होंने कहा कि 1986 के कानून में दम नहीं था, इसलिए सायरा बानों को अपने मामले को लेकर फिर से कोर्ट का रूख करना पड़ा। उन्होंने सदन से कहा कि इस देश ने वह मंजर भी देखा जब ये कहा गया कि जब दहेज लेने और देने वाले दोनों पक्षों को कोई समस्या नहीं तो कानून क्यों बीच में आता है । बावजूद इसके सरकार इस मामले में कानून लेकर आईं।
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हालांकि पूर्व में दिए गए सभी सुझावों को मानने के बाद अब जब नया बिल सदन में पेश किया गया है, उसे लेकर अब कुछ लोग इस बात का संदेह करते हैं कि यह एक औरत के हाथ में हथियार हो जाएगा , जो मर्द के खिलाफ होगा।
केंद्रीय मंत्री ने इस दौरान भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रुख साफ करते हुए कहा कि पीएम मोदी ने यह बिल किसी राजनीतिक मकसद से नहीं बल्कि इंसानियत को ध्यान में रखते हुए सदन में रखा। उन्होंने मुस्लिम महिलाओं के हक की बात करते हुए इस बिल को सदन में रखा। पूर्व में तीन तलाक के मुद्दे में मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ देने में काफी देर हुई है, लेकिन अब जब कोर्ट अपना काम कर चुकी है, अब हमारी आपकी बारी है कि हम इन लोगों को इंसाफ देने में बाधा न बनें।
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