नई दिल्ली । मोदी सरकार द्वारा हाल में बनाए गए नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA को लेकर देशभर में विरोध - प्रदर्शन का दौर जारी है । केंद्रीय गृहमंत्री इस बात को कह चुके हैं कि वह इस कानून को किसी भी सूरत में वापस नहीं लेंगे , भले ही लोग विरोध प्रदर्शन करते रहें। इस सब के बीच बुधवार सुप्रीम कोर्ट में इस कानून के विरोध में दर्ज 144 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई होनी है । कोर्ट तय करेगी कि यह कानून संवैधानिक है या संविधान के खिलाफ । इस सब से इतर केंद्र सरकार की ओर से भी एक याचिका इस कानून के समर्थन में दायर की गई है । अब से कुछ देर बाद इन सभी याचिकाओं पर सुनवाई होनी है , जिसके मद्देनजर कोर्ट के बाहर कुछ महिलाओं ने इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन भी किया ।
बता दें कि विपक्षी दलों द्वारा CAA को संविधान के खिलाफ बताते हुए विरोध प्रदर्शनों को अपना समर्थन दिया है । मोदी सरकार के द्वारा नागरिकता संशोधन कानून पेश करने के बाद से ही इस पर बवाल जारी है । विपक्षी दलों के साथ ही आम जनता भी इस कानून के विरोध में सड़कों पर उतर रही है । वहीं अदालत में कानून के खिलाफ 141 याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनपर सुनवाई होनी है । इन याचिकाओं में कानून को संविधान के खिलाफ, भारत की मूल भावनाओं के खिलाफ बताया गया है । याचिका दायर करने वालों में खास तौर पर असदुद्दीन ओवैसी, महुआ मोइत्रा, कई राजनीतिक दल, मुस्लिम संगठन समेत अन्य लोग हैं ।
वहीं सिर्फ एक याचिका इस कानून के समर्थन में दायर की गई है वो भी केंद्र सरकार की ओर दायर हुई है । केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में अपील की है कि देश की जितनी हाई कोर्ट में इस कानून को लेकर याचिका दायर की गई हैं, उन्हें सभी को सुप्रीम कोर्ट में लाया जाए ।
विदित हो कि केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए नागरिकता संशोधन एक्ट के तहत बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आने वाले जैन, हिंदू, सिख, पारसी, ईसाई और बौद्ध शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिलेगी । साल 2014 से पहले जो भी शरणार्थी भारत में आए होंगे, अगर वो 6 साल से अधिक तक भारत में रुकते हैं तो उन्हें नागरिकता मिल सकती है । इस मुद्दे पर विपक्ष और कई संगठन विरोध कर रहे हैं और इसे संविधान विरोधी करार दे रहे हैं । प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि CAA के साथ NRC को जोड़ देने के कारण ये कानून मुस्लिम विरोधी हो जाता है।