नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जेपी ग्रुप के निदेशकों को कड़ी फटकार लगाई है। बुधवार को सर्वोच्च अदालत ने जेपी ग्रुप के निदेशकों और उनके परिवार वालों की निजी संपत्ति जब्त करने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने दिवालिया होने की कगार पर खड़े रियल एस्टेट कंपनी को 31 दिसंबर तक हर हाल में 275 करोड़ रुपये जमा करने के आदेश दिए हैं और 14 दिसंबर तक 175 करोड़ रुपये जमा करने के निर्देश दिए हैं। बता दें कि इससे पहले भी कोर्ट ने ग्रुप के सभी निदेशकों के भारत से बाहर जाने पर रोक लगा दी थी। इसके साथ ही चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए. एम. खानविलकर और जस्टिस डी.वाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय बेंच ने सभी 13 निदेशकों की निजी संपत्ति को फ्रीज कर लिया है। अब अदालत के आदेश के बिना ये लोग अपनी संपत्ति नहीं बेच सकेंगे। यही नहीं निदेशकों के पारिवारिक सदस्य भी अपनी संपत्ति नहीं बेच सकेंगे।
आपको बता दें कि कोर्ट ने कहा है कि मामले की अगली सुनवाई वो 10 जनवरी को करेगा। यहन बता दें कि अदालत ने जेपी इंफ्राटेक को अपने रिकॉर्ड इंटरिम रिजोल्यूशन प्रोफेशनल (आईआरपी) को सौंपने को कहा है, ताकि 32000 फ्लैट खरीदारों और निवेशकों के हितों की रक्षा हो सके। अदालत ने कंपनी के खिलाफ किसी भी उद्देश्य के लिए किसी भी फोरम जैसे उपभोक्ता फोरम आदि पर होने वाली सुनवाई पर रोक लगा दी है।
ये भी पढ़ें - राबड़ी देवी का नित्यानंद राय के बयान पर पलटवार, कहा- मोदी का हाथ और गला काटने वाले भी बहुत लोग हैं