नई दिल्ली। देश भर में समलैंगिता को लेकर लंबे समय से लड़ाई लड़ने वाले लोगों को गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि समलैंगिता कोई अपराध नहीं है। बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने ही पहले इसे अपराध की श्रेणी में रखा था और ऐसा करने वालों के लिए 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया था। गुरुवार को आए इस फैसले पर समलैंगिक समाज के लोगों ने काफी खुशी जताई है और सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद किया है।
गौरतलब है कि मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और अन्य जजों की बेंच ने इस पर फैसला देते हुए कहा कि अगर कोई दो बालिग लोग आपसी सहमति के बाद संबंध बनाते हैं तो उसे अपराध नहीं माना जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी नाबालिग के साथ ऐसा किया जाता तो वह अपराध माना जाएगा। हालांकि बेंच ने कहा कि बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण के लिए पाॅक्सो एक्ट जैसा कानून है।
ये भी पढ़ें - यौन उत्पीड़न और तेजाब के हमले से पीड़ित पुरुषों को भी मिलेगा मुआवजा- सुप्रीम कोर्ट
यहां बता दें कि कोर्ट की बेंच ने कहा कि हमें भी अब एक विकसित राष्ट्र की तरह सोचना चाहिए। अगर समाज में हर किसी को जीने का अधिकार है और समाज हर किसी के लिए बेहतर है। गौर करने वाली बात है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए होमोसेक्सुएलिटी यानि समलैंगिकता को क्रिमिनल एक्ट बता चुका है जिसको दोबारा चुनौती देते हुए क्युरिटिव पिटिशन दाखिल की गई है। गुरुवार को दिए गए फैसले में सुप्रीम कोर्ट की ओर धारा 377 को पूरी तरह से ख्त्म करने की बात नहीं कही गई लेकिन आपसी सहमति से दो वयस्कों के द्वारा बनाए जाने वाले संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है।