नई दिल्ली। दिल्ली की राजनीति में मची उथल-पुथल पर बुधवार को फैसला होने की उम्मीद है। सुप्रीम कोर्ट बुधवार को दिल्ली सरकार और एलजी की सीमाओं को तय करेगा। बता दें मुख्यमंत्री और एलजी के बीच चल रही तनातनी मामले पर करीब एक महीने तक चली सुनवाई के बाद पिछले साल 6 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने इस मसले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। बुधवार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ अपना फैसला सुनाएगी।
गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने दलील पेश की थी कि दिल्ली में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार है ऐसे में चुनी हुई सरकार को कुछ तो अधिकार चाहिए। उसका कहना था कि उपराज्यपाल संविधान और लोकतंत्र का मजाक उड़ा रहे हैं। उनके पास कोई अधिकार नहीं है लेकिन वह संवैधानिक दायरे से बाहर जाकर कार्य कर रहे हैं। वहीं केंद्र सरकार ने इस मामले में अपनी दलील देते हुए कहा कि दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है। वह न तो राज्य है और न ही राज्य सरकार। दिल्ली को राज्य बनाने के लिए कई बार प्रस्ताव भेजा गया लेकिन संविधान निर्माताओं ने इसे नकार दिया गया।
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यहां बता दें कि केन्द्र का कहना है कि विधानसभा होने का मतलब यह नहीं है कि उसे दूसरे राज्यों की तरह अधिकार प्राप्त है। केंद्र ने दिल्ली सरकार के इस आरोप को पूरी तरह से खारिज कर दिया कि उन्हें काम नहीं करने दिया जा रहा है। दिल्ली में उपराज्यपाल के अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट बुधवार को अपना फैसला सुना सकता है।