नई दिल्ली । गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों में भी हार के बाद अब कांग्रेस ने अपने संगठन में सुधार की कवायद को तेज करने की बात कही है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं की मांग के बाद अब टीम राहुल के लिए कई युवा नेताओं को पार्टी के अहम पदों पर कमान सौंपने की रणनीति पर काम किया जाएगा। इतना ही नहीं इस टीम को कांग्रेस के 'मिशन-2018' के मद्देनजर तैयार किया जाएगा। बता दें कि अगले साल त्रिपुरा, कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़, नगालैंड, मेघालय, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन चुनावों में बेहतर प्रदर्शन के लिए हालांकि पहले से ही कांग्रेस ने टीम राहुल के लिए कुछ युवा नेताओं को जिम्मेदारी देने पर मंथन करना शुरू कर दिया है। पार्टी का कहना है कि भले ही उन्हें गुजरात में हार का सामना करना पड़ा हो, लेकिन राहुल गांधी के नेतृत्व में उनका वोट प्रतिशत भाजपा से ज्यादा बढ़ा है।
भाजपा के खिलाफ नाराजगी को वोट में बदलेंगे
बता दें कि इस बार के गुजरात चुनावों में कांग्रेस सत्ता विरोधी लहर के बावजूद उसे भुनाने में असफल साबित हुई है। लोगों में राज्य सरकार समेत केंद्र सरकार के फैसलों के खिलाफ नाराजगी तो थी लेकिन वह इस नाराजगी को वोट में तब्दील नहीं कर पाए। जानकारों का कहना है कि गुजरात में भाजपा के खिलाफ लोगों में नाराजगी तो थी लेकिन वह इस कदर नहीं थी कि वह गुस्से में तब्दील होकर सत्ता विरोधी वोट में तब्दील हो सकती। वहीं कांग्रेस ने भी इस मुद्दे पर कोई काम नहीं किया, जिसके चलते उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
संगठन की मजबूती पर होगा काम
इस दौरान पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस को इस समय अपने संगठन को मजबूत करने की बेहत जरूरत है। एक समय सेवा दल कांग्रेस के लिए एक मजबूत संगठन को खड़ा करने के काम के साथ ही अन्य कई जगहों पर उनके लिए एक मजबूत आधार बनाता था लेकिन आज सेवा दल का अस्तित्व ही खतरे में नजर आता है। भाजपा को अपने संगठन को मजबूत करने के साथ ही प्रदेश कांग्रेस इकाइयों पर भी ध्यान देना होगा। ताकि भाजपा विरोधी जो भी लहर उठे उसे वोट में बदलने के लिए काम किया जा सके।
मिशन-2018 के बाद आएगा फाइनल मुकाबला
गुजरात-हिमाचल विधानसभा चुनावों में हार के बाद कांग्रेसी नेता अशोक गहलोत ने कहा कि भले ही वह चुनाव हार हो गए हैं, लेकिन उन्हें मिले वोट प्रतिशत ने साफ कर दिया है कि देश राहुल गांधी के नेतृत्व को पसंद कर रहा है। हमारा वोट प्रतिशत पिछली बार की तुलना में बढ़ा है। इतना ही नहीं पिछली बार गुजरात में मिली 61 सीटों से हमने लाभ लेते हुए 80 तक का आंकड़ा छू लिया है। ऐसे में गुजरात चुनावों ने हमारे लिए 2019 की दिशा तय कर दी है। हालांकि हिमाचल प्रदेश में बुरी हार पर उन्होंने कहा कि यह हिमाचल का चलन है, वहां हर बार सरकार बदल जाती है।
पिछले 3 सालों में 16 राज्यों में विस चुनाव
बता दें कि केंद्र में मोदी की सरकार आने के बाद से देश के 16 राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं। अब इनमें से अधिकांश में भाजपा और एनडीए ने जीत दर्ज की है। सिर्फ पंजाब और पुडुचेरी में ही कांग्रेस को सफलता हाथ लगी है। अगर साल 2018 में 8 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, जिसके लिए कांग्रेस ने अपनी नई टीम के साथ नई रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है।