नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय समेत देश के 52 विश्वविद्यालयों को लेकर बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने इन सभी को स्वायत्ता दे दी है। अब इन्हें फीस, सीट, शिक्षक, दाखिला, पाठ्यक्रम, कोर्स आदि के लिए यूजीसी की मंजूरी नहीं लेनी पड़ेगी। इसके साथ 8 कॉलेजों को भी स्वायत्तता प्रदान की गयी है, हालांकि इनमें दिल्ली विश्वविद्यालय का कोई कॉलेज नहीं है।
गौरतलब है कि मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडे़कर ने इसकी आधिकारिक घोषणा की है। जावड़ेकर ने कहा कि यूजीसी काउंसिल की बैठक में 3.26 स्कोर या उससे अधिक वाले नैक एक्रिडिटेशन वाले संस्थानों को ग्रेडेड स्वायत्तता प्रदान की गई है। यूजीसी काउंसिल के फैसले का सीधा मतलब यह है कि जो भी शिक्षण संस्थान गुणवत्ता रखेगा उसे ही स्वायत्ता मिलेगी।
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आपको बता दें कि सरकार अच्छे संस्थानों को स्वायत्तता देने के लिए अनेक कदम उठा रही है। स्वायत्तता मिलने वाले संस्थानों में 5 केंद्रीय विश्वविद्यालय, 21 राज्य विश्वविद्यालय, 24 डीम्ड यूनिवर्सिटी और दो निजी विश्वविद्यालय हैं।
स्वायत्तता में यह होगा खास
- रिसर्च पार्क बना सकेंगे। विदेशी शिक्षकों को नियुक्त और विदेशी छात्रों को दाखिला दे सकेंगे।
- सरकार के तय वेतन से अधिक वेतन देने का भी अधिकार होगा। आरक्षण नियम पूर्व की भांति लागू रहेगा।
- दुनिया के टॉप 500 शिक्षण संस्थानों के साथ उक्त विश्वविद्यालय समझौता कर सकेंगे।
- 8 स्वायत्त कॉलेजों की डिग्री में विश्वविद्यालय के साथ कॉलेज का भी नाम होगा।
तीन विश्वविद्यालयों को कारण बताओ नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने जिन 4 डीम्ड संस्थानों की 2001-05 तक इंजीनियरिंग की डिग्री निरस्त की थी, उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया जा रहा है। इसमें इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्ट्डीज इन एजुकेशन राजस्थान, विनायक मिशन रिसर्च फाउंडेशन तमिलनाडु, मीनाक्षी एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च चेन्नई का नाम शामिल हैं।