Monday, April 29, 2024

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मसूद अजहर पर चीन का 'चक्रव्यूह' तोड़ने के लिए अमेरिका-ब्रिटेन-फ्रांस ने बनाई रणनीति , झुक रहा है ड्रैगन

अंग्वाल न्यूज डेस्क
मसूद अजहर पर चीन का

नई दिल्ली । पाकिस्तान पोषित आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित किए जाने की कवायद एक बार फिर से तेज हो गई है। इसके लिए भारत के साथ अब अमेरिका -ब्रिटेन और फ्रांस काफी मजबूती से खड़े हो गए हैं। इसी क्रम में अमेरिका और ब्रिटेन ने मसूद अजहर को बचाने वाले चीन के लिए एक 'चक्रव्यूह' रचा है, जिसके तहत दोनों देशों ने चीन से बात की है । अंतरराष्ट्रीय मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद के तीनों देशों ने मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने के लिए चीन से बातचीत की। खबरें हैं कि अगर चीन इस पर नहीं माना तो तीनों देश एक बार फिर से इस मुद्दे को लेकर यूएन का रुख करेंगे। मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित किए जाने के प्रस्ताव पर चार बार वीटो लगा चुके चीन को घेरने के लिए भी इन दिनों देशों ने एक रणनीति बनाई है। हालाकि खबरें यह भी है कि इन तीनों देशों से बातचीत के बाद चीन ने रुख में कुछ बदलाव आया है।

चीन चाहता है कुछ ऐसा

यूएन की सुरक्षा परिषद में मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने संबंधी प्रस्ताव पर वीटो लगाने वाले चीन को अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के इन तीन सदस्य देशों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। खबरें आ रही है कि पिछले कुछ समय से तीनों देश चीन से बातचीत कर रहे हैं। चीन ने भी अपने रुख में बदलाव करते हुए कुछ शर्तें रखी हैं। ऐसी खबरें हैं कि चीन मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित किए जाने पर तो राजी हो रहा है , लेकिन वह चाहता है कि इस दौरान इस्तेमाल होने वाली भाषा उसकी पसंद की हो। अमेरिका, ब्रिटेन तथा फ्रांस चीन के इन सुझावों पर विचार कर रहे हैं। ये तीनों देश मसूद को आतंकी घोषित किए जाने की मूल भावना को प्रभावित किए बिना चीन के प्रस्ताव की भाषा संबंधी प्रस्ताव पर राजी हो सकते हैं।


अगर चीन नहीं माना तो...

वहीं अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और सुरक्षा परिषद के अन्य सदस्यों ने इस बार चीन के रुख को देखते हुए कुछ ठोस कार्यवाही करने का मन बना लिया है। खबरों के मुताबिक , अगर चीन इस बार भी अपनी जिद पर अड़ा रहता है तो तीन स्थायी सदस्य इस मुद्दे पर खुली बहस के लिए प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र की सबसे शक्तिशाली शाखा में पेश कर सकते हैं। इतना ही नहीं तीनों देश चीन को सोचने के लिए ज्यादा समय देने के पक्ष में भी नहीं हैं। चीन को सूचित कर दिया गया है कि वे दूसरे विकल्पों पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं ।

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