वाशिंगटनः अमेरिका में भारतीय कामगारों के लिए मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। एक तरफ तो भारतीयों पर लगातार नस्लीय हमले हो रहे हैं और दूसरी तरफ ट्रंप प्रशासन ने एक और झटका देते हुए एच1बी वीजा की प्रीमियम प्रॉसेसिंग को 6 महीने के लिए सस्पेंड कर दिया है। खास बात यह है कि अमेरिका ने ऐसा तब किया है जब भारतीय विदेश सचिव एस. जयशंकर ने कल ही इस बारे में अमेरिकी अधिकारियों से मुलाकात की थी।
इधर भारतीय अधिकारी मिले, उधर फैसला
एक अखबार की खबर के अनुसार अमेरिका ने एच1बी वीजा की प्रीमियम प्रासेसिंग को 6 महीने के लिए टाल दिया है। हालांकि जब भारत ने इस मामले में अमेरिका जाकर अपना पक्ष रखा था, तो अमेरिका ने उसे आश्वासन दिया था औऱ कहा था कि एच1बी वीजा मुद्दा उसकी प्राथमिकता नहीं है। ऐसे में जब भारतीय यह मान रहे थे कि फिलहाल एच1बी वीजा को लेकर बहुत परेशान होने की जरूरत नहीं है, तभी ट्रंप प्रशासन ने अचानक यह फैसला किया। ट्रंप प्रशासन का यह फैसला ऐसे समय में आया, जब इसके कुछ ही घंटे पहले भारत के विदेश सचिव एस. जयशंकर और कॉमर्स सेक्रटरी रीता तेवतिया ने ट्रंप प्रशासन से मीटिंग में कहा था कि एच-1बी वीजा के मुद्दे को ट्रेड और सर्विस से जोड़कर देखा जाना चाहिए। यह इमिग्रेशन से अलग है।
मोदी भी कर चुके हैं अपील
एच1बी वीजा के जरिए ही भारतीय कामगार अमेरिका में जाकर काम कर सकते हैं। इस वीजा के कारण अमेरिका में बड़ी संख्या में भारतीय पेशेवर काम पाते हैं। अमेरिका के नए प्रशासन का मानना है कि स्थानीय लोगों को देश में अधिक काम मिले, इसके लिए विदेशी कामगारों की अमेरिका में आमद में कमी लाना जरूरी है। भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी ने भी इस सिलसिले में अमेरिकी सांसदों के प्रतिनिधिमंडल से मिलकर हल निकालने की अपील की थी। मोदी ने भारतीय पेशेवरों के अमेरिका आने-जाने के नियमों को सरल ही रखने की बात कही थी।
क्या है प्रीमियम प्रासेसिंग
प्रीमियम प्रोसेसिंग के जरिए एच-1बी वीजा एप्लीकेशंस को तेजी से आगे बढ़ाया जाता है। औसतन एच1बी वीजा को मंजूरी मिलने में 3 से 6 महीने का समय लगता है। हालांकि नियोक्ता कंपनियों की ओर से 1,225 डॉलर का प्रीमियम अदा करने पर यह वीजा 15 दिन में ही जारी कर दिया जाता है। अमेरिका ने इसी प्रीमियम प्रक्रिया को6 महीने के लिए रोक दिया है।