चंडीगड। चंडीगड के स्नाकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंस्थान (पीजीआई)में एक नवजात के अंगदान ने इतिहास रच दिया। वह भारत का अब तक सबसे कम उम्र में अंगदान करने वाला बन चुका है। इस घटना से अंगदान करने का मन बना रहे लोगों में प्रोत्साहन बढना की एक विशेष बात माना जा रहा है। देखा जाए, तो भी विज्ञान के तरक्की करने के साथ ही अंगदान से लोगों की जीवन दान मिलना आसान हो गया है।
बीता रात पटियाला के चडीगड के पीजीआई संस्थान में एक तीन दिन के नवजात ने दुनिया से जाते हुए एक अजनबी को नया जीवन देकर एक मिसाल कायम की है। पीजीआई ने 68.3 घंटे के नवजात का अंगदान कराकर देश में सबसे कम उम्र के अंगदाता का अंगदान कराने का रिकार्ड अपने नाम कर लिया है।
इस बच्चों को पटियाला निवासी एक दंपती दुनिया से जाने के बाद पीजीआई रोटो के स्टाफ लेकर पहुंचे और उन्होंने अपने जिगर के टुकडे अंगदान करने की बात की। उस नवजात के अंगदान से मिली दोनों किडनी को एक 21 वर्षीय महिला में प्रत्यारोपित किया गया है।
संस्थान को उस नन्हें फरिश्ते के माता-पिता पर गर्व है, जिन्होंने अपने दु:ख को दरकिनार कर दूसरे के जीवन में खुशियां फैलाने का निर्णय लिया। इस कार्य में पीजीआई के डॉक्टरों के साथ ही पैरामेडिकल स्टाफ का कार्य भी तारीफ के काबिल है। उन्होंने एक टफ प्रोसेस के रिस्क लिया और उसमें सक्सेस हासिल की।
एक्सपट्र्स का कहना है कि दो दिन पूर्व को ही उस नवजात को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। इसकी जानकारी होने पर उस दंपती ने ट्रामा सेंटर में ड्यूटी कर रहे रोटो के कर्मचारियों से संपर्क किया और अपने बच्चे के अंगदान कराने की इच्छा जताई। उनका कहना था कि वे इस सूचना को गुप्त रखना चाहते हैं। उनके निर्देशनुसार उनके बच्चे का अंगदान कराया गया।