नई दिल्ली । अमूमन आपने सुना होगा कि किसी संस्थान के छात्रों को लाखों का पैकेज मिला है, तो किसी को करोड़ों का। कोई किसी एमएनसी कंपनी के प्रमुख इंजीनियरों में शुमार हुआ, तो कोई किसी कंपनी के प्रमुख अधिकारियों में। लेकिन क्या आपने सुना है 7 से 15 साल के बच्चों को दिए जाने वाले लाखों के ऐसे सैलरी पैकेज के बारे में, जिसके बदले इन बच्चों को बड़े-बड़े फार्म हाउस में होने वाली शादियों में से शगुन वाला बैग चुराना हो। दिल्ली पुलिस तो ऐसा ही दावा कर रही है कि उसने एक ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया है जो बच्चों को बोली लगाकर 6 महीने के लिए 12 लाख रुपये तक पैकेज देता है। इसके बदले बच्चों को उड़ाना होता है उसके लिए शादी समारोह में से एक खास बैग।
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गिरोह में हैं 70 बच्चे
चलिए पूरे किस्से को खुलकर बताते हैं। असल में दक्षिण-पश्चिम जिला पुलिस ने हाल में एक ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया है जो दिल्ली-एनसीआर के बड़े-बड़े फार्म हाउसों और बैंक्वेट हॉल में होने वाली शादियां इनके निशाने पर हैं। इस गैंग में 70 बच्चे हैं, जो शादी समारोह में से शगुन वाला बैग चुराने का काम करते हैं। इतना ही नहीं इन बच्चों को यह काम करने के लिए बकायदा प्रशिक्षण मिलता है।
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गिरोह का सरगना राका गिरफ्त में
पुलिस के अनुसार, बैंड-बाजा-बारात के माहौल में शगुन वाले बैग पर हाथ साफ करवाने वाले गिरोह का सरगना राका को हाल में पुलिस ने गिरफ्तार किया। राका ने ही बताया कि इस समय दिल्ली-एनसीआर में करीब 70 बच्चे हैं जो उसके लिए यह काम कर रहे हैं। वह इनमें से अधिकांश बच्चों को मध्य प्रदेश के तीन गांवों से लेकर आया है।
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मध्य प्रदेश के तीन गांवों से लाए जाते हैं बच्चे
राका ने पूछताछ में खुलासा हुआ है कि मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में ऐसे तीन गांव हैं, जहां 7 से 15 साल तक के बच्चों को इस काम के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है। इन्हें दिल्ली-एनसीआर के बड़े फार्म हाउस या अन्य स्थानों पर दुल्हन का बैग समेत दुल्हा-दुल्हन के पिता के हाथ में मौजूद बैग पर हाथ साफ करने का टारगेट दिया जाता है। इन बच्चों को हल हाल में बैग पर हाथ साफ करने का प्रशिक्षण दिया जाता है। इतना ही नहीं शादी समारोह में ये बच्चे अच्छे कपड़े पहनकर दाखिल होते हैं। इनके साथ कोई बड़ा भी होता है जिससे ऐसा लगता है कि ये भी शादी में शामिल होने आए हैं। इस दौरान खेल-खेल में बच्चा बैग पर हाथ साफ कर देते हैं।
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बच्चों के परिजनों को देनी पड़ती है मोटी रकम
राका का कहना है कि बच्चों को अपने साथ दिल्ली-एनसीआर में इस काम के लिए लाने की एवज में उनके परिजनों को 2 से 12 लाख लाख रुपये तक दिए जाते हैं। जो बच्चा जितनी सफाई से काम करता है उसे उतनी ज्यादा रकम दी जाती है। राका बच्चों के परिजनों के साथ 6 महीने से एक साल तक का करार करता था, ताकि बीच में कोई परिजन अपने बच्चे को वापस लाने की बात न कहे। कई बार तो इन बच्चों के लिए बोली तक लगाई जाती है।
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