नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को केजरीवाल सरकार समेत अन्य को कड़ा निर्देश देते हुए वाणिज्यिक विवादों के त्वरित निपटान के लिए 6 माह के भीतर 42 वाणिज्यिक अदालतें स्थापित करने को कहा है । दिल्ली हाईकोर्ट का यह आदेश अधिवक्ता अमित साहनी की एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनाया है । अपनी याचिका में उन्होंने कहा था कि दिल्ली में अभी अतिरिक्त 42 अदालतों का अभी आना बाकी है । दिल्ली सरकार ने गत 22 मार्च, 2021 को इसे अनुमोदित किया था । इसके बाद इस संबंध में 13 अप्रैल, 2021 को अधिसूचित जारी किया की गई थी , लेकिन अब तक कुछ नही हुआ ।
विदित हो कि दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में दिल्ली सरकार समेत अन्य को निर्देश दिए हैं कि वह आगामी 6 माह में राष्ट्रीय राजधानी में 42 वाणिज्यिक अदालतें स्थापित करें । असल में अधिवक्ता अमित साहनी ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली में वाणिज्यिक विवादों के निपटारे के लिए दुनिया की सर्वोत्तम प्रथा के खिलाफ एक वाणिज्यिक विवाद का फैसला करने में 747 दिन लगते हैं ।
इस पर मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने प्रतिवादियों को 6 महीने के भीतर मामले को लागू करने का निर्देश देते हुए, साहनी को समय पर आदेश का पालन नहीं करने पर फिर से संपर्क करने की स्वतंत्रता दी ।
वहीं दिल्ली सरकार ने कहा कि इस संबंध में पीडब्ल्यूडी के साथ एक बैठक बुलाई गई है और यह सुनिश्चित किया गया है कि वह समय सीमा का सख्ती से पालन करेगी । याचिकाकर्ता के अनुसार, दिल्ली की अदालतें अधिक बोझ वाली हैं, दिल्ली की जिला अदालतों की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, फरवरी 2022 तक, दिल्ली जिला अदालतों में कार्यरत 22 वाणिज्यिक अदालतों में 26,959 मामले लंबित हैं ।
याचिकाकर्ता ने कहा कि समय-समय पर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी यह माना कि न्याय मिलने में होने वाली देरी पर ध्यान गया है । इसी के मद्देनजर देश की विभिन्न अदालतों में लंबित रिक्तियों की भर्ती के लिए निर्देश जारी किए गए हैं । कम से कम वाणिज्यिक विवादों से संबंधित न्याय वितरण प्रणाली में तेजी लाने के लिए, वाणिज्यिक न्यायालयों, वाणिज्यिक प्रभाग और उच्च न्यायालयों के वाणिज्यिक अपीलीय प्रभाग अधिनियम, 2015 को राज्य द्वारा स्थापित किए जाने वाले वाणिज्यिक न्यायालयों के एक अलग सेट के लिए प्रदान करने के लिए पारित किया गया है ।