बेंगलुरु । कर्नाटक सरकार का गोहत्या के खिलाफ बनाया गया कानून सोमवार यानी आज से लागू हो गया है । इस कानून के लागू होने के बाद अब राज्य में गोहत्या पूरी तरह से प्रतिबंधित होगी । हालांकि राज्य सरकार के इस फैसले के बाद राज्य में मौजूद बूचड़खानों का संचालन जारी रहेगा । असल में राज्य में भैंसों का मांस खाने पर कोई रोक नहीं है । राज्य में सक्षम प्राधिकारी के सत्यापन से 13 साल से अधिक उम्र की नर व मादा भैंस की हत्या पर प्रतिबंध नहीं है।
बता दें कि देश में गोहत्या के खिलाफ बनते माहौल को ध्यान में रखते हुए कर्नाटक की येदियुरप्पा सरकार ने एक कानून बनाकर गोहत्या पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है । कर्नाटक सरकार ने हाल ही में कहा था, 'कर्नाटक प्रीवेंशन ऑफ स्लॉटर एंड प्रिजर्वेशन ऑफ कैटल ऑर्डिनेंस, 2020 के सभी प्रावधान 18 जनवरी से लागू हो जाएंगे।
कर्नाटक में गोहत्या के खिलाफ लागू कानून के खिलाफ जाना बहुत महंगा पड़ सकता है। अध्यादेश में गोधन की हत्या करने पर तीन से सात साल की सजा और 50 हजार से पांच लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। दोबारा अपराध करने पर सात साल की सजा और एक लाख से 10 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। इसमें 'कैटल' को सभी उम्र की गाय, गाय के बछड़े, बैल, सांड़ और 13 साल से कम उम्र की नर और मादा भैंस के रूप में परिभाषित किया गया है। जबकि बीफ को किसी भी रूप में कैटल के मांस के रूप में परिभाषित किया गया है।
बता दें कि इस महीने की शुरुआत में, राज्य के राज्यपाल वजुभाई वाला ने कर्नाटक में वध-संरक्षण और मवेशी संरक्षण विधेयक -2020 को मंजूरी दी थी, जिसे राज्य विधानसभा में 9 दिसंबर 2020 को पारित किया गया था। राज्य सरकार ने अपने आदेश में कहा था कि अध्यादेश का उद्देश्य राज्य में वध और गोवंश के संरक्षण के लिए व्यापक कानून प्रदान करना है।