लखनऊ ।जहां एक तरफ स्कूलों में बच्चों को पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए कहा जाता है और बच्चों से गणित और विज्ञान के विषय पर अधिक जोर देने के लिए कहा जाता है। तो वहीं दूसरी तरफ हर जूनियर स्कूल में विज्ञान और गणित के लिए एक शिक्षक का होना अनिवार्य है, लेकिन रिपोर्ट के आकड़ों के मुताबिक बीते वर्षों से सरकारी जूनियर स्कूलों में गणित और विज्ञान के शिक्षकों के तबादलों व नियुक्ति का दूर-दूर तक कोई जिक्र नहीं है। यदि यही सिलसिला चलता रहा तो आने वाले वर्षों में गणित और विज्ञान के शिक्षकों का अनुपात बिगड़ सकता है। साथ ही प्राइमरी स्कूलों में शिकक्षों की तैनाती के लिए अनिवार्य योगयता पहले बीटीसी और डीएड में भी कला व विज्ञान वर्ग खत्म कर दिया है।
वर्ष 2012 से पहले नियुक्तियों की 50-50 फीसदी रिक्तियां विज्ञान और कला वर्ग के लिए होती थी और ऐसा ही नियम बीटीसी में भी था। हालांकि वर्ष 2013 में 29 हजार गणित व विज्ञान के शिक्षक भर्ती किए गए हैं, लेकिन समायोजन के ताजा आदेश में सबसे जूनियर शिक्षक को ही सरप्लस में मानने के आदेश हैं, लेकिन सबसे जूनियर शिक्षक ही विज्ञान या गणित को पठाएगा तो शिक्षा आरटीई के मानक कैसे पूरे हो पाएंगे। वहीं दूसरे जिलों में भी विज्ञान गणित के शिक्षकों के लिए अलग से कोई निर्देश नहीं हैं। हर साल हो रहे सर्वेक्षणों में सरकारी स्कूलों के बच्चों की गणित और विज्ञान कमजोर होने के कारण परिणाम भी घटते चले जा रहे हैं।
आपको बता दें कि आरटीई एक्ट में हर जूनियर स्कूल में एक गणित और एक विज्ञान के शिक्षक का होना अनिवार्य कर दिया गया है। गणित, विज्ञान मजबूत करने को लेकर सरकार पूरे वर्ष शिक्षक प्रशिक्षण पर काफी पैसा भी खर्च करती है, लेकिन तबादलो के समय इस संबंध पर नजरअंदाजी कर दी जाती है।