लखनऊ । अभिनेत्री कंगना रनौत और महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार के बीच जारी गतिरोध अब महाराष्ट्र से बाहर भी तेजी से फैलता नजर आ रहा है । असल में कंगना के समर्थन में अब अयोध्या का संत समाज भी उतरना नजर आ रहा है । इसी क्रम में अयोध्या में संतों ने उद्धव ठाकरे का विरोध शुरू कर दिया है। संतों और विश्व हिंदू परिषद ने घोषणा की है कि उद्धव अयोध्या न आएं। यहां आने पर उनका स्वागत नहीं होगा बल्कि उन्हें विरोध झेलना पड़ेगा। इतना ही नहीं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने भी कंगना रनौत को देश की बेटी बताया है। उन्होंने भी उद्धव ठाकरे को अयोध्या न आने की धमकी दी है।
विदित हो कि बीएमसी द्वारा बदले की राजनीति के तहत कंगना रनौत का दफ्तर तोड़े जाने के बाद से देश में कंगना के समर्थन में लोग जुटने लगे हैं । कई संगठनों के साथ राजनीतिक दल भी कंगना के समर्थन में बयान देने लगी हैं । इसी क्रम में अब देश का संत समाज भी महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार के विरोध में उतर आई है ।
जहां अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने उद्धव ठाकरे को अयोध्या न आने की धमकी दी है । महंत गिरी ने कहा है कि कंगना रनौत बहादुर और हिम्मत वाली बेटी हैं, जिन्होंने बॉलिवुड के माफियाओं और ड्रग माफियाओं के रैकेट का भंडाफोड़ किया है। उन्होंने निडर होकर बॉलीवुड में एक विशेष समुदाय के वर्चस्व के खिलाफ खुलकर आवाज उठाई है। इससे न केवल बॉलिवुड के माफिया डर गए हैं, बल्कि सरकार के भी कदम उखड़ रहे हैं।उन्होंने कहा कि कंगना रनौत की ओर से कहे सच को दबाने के लिए उद्धव ठाकरे सरकार ने कंगना के कार्यालय पर बुलडोजर चलवाया है और बदले की कार्रवाई की है।
वह बोले- महाराष्ट्र में कानून व्यवस्था की हालत बेहद खराब है। पालघर में दो साधुओं की हुई हत्या के मामले में भी महाराष्ट्र सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है। महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि कंगना रनौत की इस लड़ाई में साधु-संत और पूरा देश उनके साथ है। उन्होंने हिमाचल प्रदेश सरकार को कंगना रनौत को सुरक्षा देने के लिए धन्यवाद भी दिया है।
वहीं हनुमान गढ़ी मंदिर के पुजारी महंत राजू दास ने कंगना के दफ्तर को तोड़ने का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे या शिवसेना का कोई भी नेता अयोध्या में आया तो उनका विरोध होगा। संत उनकी करतूत के खिलाफ हैं। बीएमसी ने कंगना का दफ्तर तोड़कर अच्छा नहीं किया। उन्होंने कहा सरकार ने बिना समय दिए कंगना का दफ्तर गिरा दिया और पालघर में साधुओं की हत्या मामले में कोई सख्त ऐक्शन नहीं लिया। महंत कन्हैया दास ने कहा कि उद्धव ठाकरे का अयोध्या में स्वागत नहीं है। अह शिवसेना वह नहीं रही, जो कभी बालासाहेब ठाकरे के अधीन हुआ करती थी।