लखनऊः सबका साथ, सबका विकास के वादे के साथ यूपी में प्रचंड बहुमत की सरकार बनाने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ के एजेंडे पर प्रदेश का विकास ही सर्वोपरि है। सीएम योगी ने भी इसके लिए पीएम मोदी की राह पकड़ ली है। यूपी में भी अधिकारियों की मुस्तैदी, बायोमीट्रिक प्रजेंस, पॉवर प्वाइंट प्रजेंटेशन, फ्यूचर प्लान यानी वैसी तेजतर्रार कार्यशैली जो नरेंद्र मोदी ने बतौर पीएम दिल्ली में अपना रखी है। माना जा रहा है कि अधिकारियों को भी इस बात का अहसास हो चला है कि अब काम के तरीके बदल रहे हैं। पूरा अमला तेजी से काम पर लगा है।
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अधिकारियों के तौर-तरीके बदलने पर जोर
बिजली की बेहतर स्थिति, कानून का राज और बेहतर सुविधाओं पर नए सीएम का खास फोकस है। इसके लिए अधिकारियों को काम करने के नए तौर-तरीके भी बताए जा रहे हैं। सीएम का मानना है कि सरकार के सौ दिन पूरे होने पर जनता को एक नया उत्तर प्रदेश दिखाई देने लगे। इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वह सौ दिन का प्रॉयरिटी प्लान तैयार करें, जिसमें प्रदेश के जल्द विकास का खाका हो। यही नहीं, हर विभाग की तरफ से हर हफ्ते सीएम के सामने पॉवर प्वाइंट प्रजेंटेशन किया जाए, जिसमें प्लान, उसका एक्शन और समीक्षा हो।
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बिजली, सड़क और कानून-व्यवस्था पर फोकस
चीफ मिनिस्टर की प्राथमिकता में 3 काम प्रमुख रूप से हैं, जोकि 100 दिन के एक्शन में प्लान में शामिल बताए जा रहे हैं। इसमें प्रदेश की सभी सड़कों के गड्ढे भरना, चार अहम धार्मिक स्थलों वाराणसी, अयोध्या, मथुरा और गोरखपुर में 25 जून तक चौबीस घंटे बिजली की सप्लाई सुनिश्चित करना और त्वरित प्रभाव से प्रदेश में कानून-व्यवस्था का राज सुनिश्चित करना है।
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रिटायर्ड अधिकारियों पर गिर रही गाज
योगी सरकार एक्सटेंशन पर चले रहे तमाम रिटायर्ड अधिकारियों को भी रुखसत कर रही है। यह ऐसे अधिकारी हैं, जो पुरानी सरकार से नजदीकी के चलते रिटायर होने के बाद भी बरसों से सत्ता के गलियारों में डटे हुए हैं। अब तक रिटायरमेंट के बाद एक्सटेंशन पर चल रहे पांच दर्जन अधिकारियों को बाहर का दरवाजा दिखाया जा चुका है। एक अखबार की खबर के मुताबिक यूपी के चीफ सेक्रेटरी राहुल ने बताया कि अलग-अलग विभागों में करीब 60 सीनियर अधिकारियों का एक्सटेंशन बीते शनिवार को रद्द कर दिया गया। एक्सटेंशन पर 78 अधिकारी थे। सरकार ने तकनीकी मामलों से जुड़े सिर्फ 18 अधिकारियों को ही सेवा में रखने का फैसला किया है। एक्सटेंशन पर चल रहे सभी अधिकारियों की सूचना जुटाई जा रही है।
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पुरानी सरकार की कुछ योजनाओं की जांच भी
योगी सरकार ने पुरानी सरकार के कुछ बड़े प्रोजेक्ट्स की जांच कराने का भी विचार बना रही है। इसमें प्रमुख रूप से आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे है, जिसके निर्माण में मानकों से कहीं ज्यादा रकम खर्च किए जाने का आरोप है।