देहरादून। प्रदेश के दूर दराज इलाकों के लोगों को भी अब सस्ती दवाएं मिल सकेंगी। केन्द्र सरकार की पहल के बाद अब राज्य में करीब 350 जेनरिक स्टोर खोले जाएंगे। फिलहाल राज्य में जेनरिक दवाओं के सिर्फ 23 स्टोर हैं। राज्य के पहाड़ी इलाकों में बड़ी आबादी ऐसे लोगों की है जो कम आमदनी होने की वजह से इलजा का खर्च नहीं उठा पाते हैं। इस तरह के स्टोर खुलने से उन लोगों को काफी फायदा होगा जो महंगी दवाओं का बोझ नहीं उठा पाते हैं।
निजी क्षेत्र भी देंगे योगदान
गौरतलब है कि जेनरिक दवाओं की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र सरकार ने जन औषधि केन्द्र खोले जाने की पहल की है। इसके लिए प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि के तहत एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें बताया गया कि नए जन औषधि केंद्रों में से 100 प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की ओर से संचालित किए जाएंगे। जबकि शेष 250 निजी क्षेत्र के होंगे, जिसके लिए विशेष प्रोत्साहन और भत्ते भी दिए जाएंगे। जेनरिक दवाआंे की पहुंच बनाने के लिए हर तहसील में इसके स्टोर खोले जाएंगे।
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तहसील स्तर पर भी खुलेंगे जन औषधि केन्द्र
आपको बात दें कि भारत में दवाओं की वार्षिक खपत लगभग एक लाख करोड़ है, जबकि उत्पादन दोगुना है। जन औषधि केन्द्रों के जरिए सस्ती और गुणवत्तायुक्त दवाइयां जन-जन तक पहुंचाई जाएंगी। जेनेरिक केंद्रों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता के बारे में अधिक जानकारी देते हुए उत्तराखंड के ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी ने कहा कि वर्तमान में पौड़ी, रुद्रप्रयाग और चमोली में कोई जेनेरिक दवा केंद्र नहीं है। पहाड़ी लोगों के दवा पर होने वाला खर्च कम करने के लिए पर्वतीय क्षेत्रों में प्राथमिकता के आधार पर जन औषधि केंद्र खोले जाएंगे। सभी स्टोर इंटरकनेक्टेड होंगे और स्टॉक की उपलब्धता केंद्र स्तर पर दर्ज की जाएगी ताकि दवाई के बिल में न तो कोई गड़बड़ी हो और न ही दवाओं की कोई कमी हो। कार्यशाला में भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चैहान, आइएमए दून शाखा की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना सहित स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।