Monday, April 29, 2024

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पिथौरागढ़ के अजय ने पेश की नई मिसाल, भिक्षावृत्ति करने वाले बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए छोड़ा ‘जूता-चप्पल’ पहनना

अंग्वाल न्यूज डेस्क
पिथौरागढ़ के अजय ने पेश की नई मिसाल, भिक्षावृत्ति करने वाले बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए छोड़ा ‘जूता-चप्पल’ पहनना

देहरादून। देवभूमि के नौजवानों ने हमेशा से अपने हुनर की एक मिसाल कायम की है लेकिन पिथौरागढ़ के अजय ने एक अलग ही उदाहरण पेश किया है। अजय गरीब और भीख मांगने वाले बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का काम कर रहे हैं। मौसम चाहे कैसा भी हो, अजय 40 पार तापमान में भी जब सड़कें तवे की तरह जल रही होती हैं वे नंगे पैर चलकर यहां-वहां भीख मांग रहे बच्चों को खोज रहे होते हैं। अजय का मकसद है कि इन बच्चों में भीख मांगने की प्रवृत्ति छुड़वाकर इन्हें पढ़ाई से जोड़ने का। 

गौरतलब है कि अजय सितंबर 2015 से यह अभियान चला रहे हैं। अब तक वे देश के करीब 35 शहरों में 50 हजार किलोमीटर से अधिक की यात्रा कर चुके हैं और इन शहरों के कई बच्चों को भीख मांगने बालश्रम से निजात दिला चुके हैं। बड़ी बात यह है कि अजय ने इन बच्चों की परेशानी को समझने के लिए 2015 से जूते-चप्पल पहनना छोड़ दिया है। 

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बता दें कि मूल रूप से पिथौरागढ़ के धनौड़ा गांव के रहने वाले अजय ने लखनऊ से होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। 25 वर्षीय अजय उत्तर प्रदेश, राजस्थान एवं उत्तराखंड में 7 हजार किलोमीटर पैदल और 50 हजार किलोमीटर स्कूटी से सफर कर चुके हैं। अजय ने बताया कि पैदल यात्रा में काफी समय लगने की वजह से उन्होंने वाहनों का सहारा लिया लेकिन जूते-चप्पलों को हाथ नहीं लगाया। अजय का लक्ष्य साल 2025 तक पूरे देश के हर शहर को अभियान से जोड़ने का है। वे स्कूलों में भी जाकर भिक्षावृत्ति और बालश्रम के खिलाफ जागरूकता फैलाने का संदेश दे रहे हैं। 

अजय के अजय के पिता और दादा दोनों की आर्मी से सेवानिवृत्त हुए हैं। अजय ने बताया कि नंगे पांव रहने से अभावग्रस्त लोगों की पीड़ा का अहसास होता है। साथ ही इनके लिए कुछ करने की प्रेरणा मिलती है। उन्होंने कहा कि वे एक दिन में 13 से 14 घंटे पैदल चलते हैं और करीब 100 किलोमीटर की यात्रा पूरी करते हैं और इस पर करीब 300 रुपये का खर्च आता है।

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