द्वारहाट। द्वारहाट की भावना इन दिनों स्वरोजगार की मिसाल बन गई हैं। उन्होंने अपने बंद पड़े घर में मशरूम की खेती शुरू की। कुछ समय बाद उनकी मेहनत रंग लाई। आज गांव के दूसरे लोग भी इसे रोजगार के तौर पर अपना रहे हैं। आइए आपको बताते हैं कि भावना आर्या ने किस तरह से मशरूम उगाने का काम शुरू किया।
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हंसने वाले ले रहे शिक्षा
गौरतलब है कि द्वारहाट के कनार गांव में कोई भी व्यक्ति मशरूम की खेती से परिचित नहीं था। ऐसे में भावना से अपने पति के साथ मिलकर यह काम शुरू किया। जब उसने यह काम शुरू किया तो गांव वालों ने उनका बहुत मजाक उड़ाया। लोगों ने तो यहां तक कहा दिया कि भावना बर्बाद हो जाएगी। पहली बार की मेहनत में भावना से करीब 5 किलो मशरूम उगाया। अब तो तीन दिनों में चार से पांच किलो मशरूम तैयार हो रही हैं। भावना के ऊपर हंसने वाले लोग ही अब उनके पास आकर मशरूम उगाने के गुर सीख रहे हैं। इसके बाद उन लोगों ने भी अब मशरूम की खेती शुरू कर दी है।
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ऐसे शुरू की खेती
आपको बता दें कि भावना ने बताया कि कुछ माह पहले उन्होंने नया घर बनाया। इसके बाद उनका पुराना घर बंद पड़ा था। एक दिन अखबार में मशरूम की खेती के बारे में पढ़कर उन्हें इसका ख्याल आया। इसके लिए उन्होंने अपने इस घर का ही उपयोग करने की सोची। भावना ने अपने पति से इस बारे में बातकर विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान केन्द्र संस्थान के डॉ. केके मिश्र से बात की। उन्होंने खेती के तरीकों के बारे में बताया। शुरुआत में दिक्कतें हुईं लेकिन भावना ने हार नहीं मानी। कृषि संस्थान से मैन्यूर कम्पोज खाद और बीज लेकर उसने काम शुरू किया। अब उसे मशरूम की खेती में काफी फायदा हो रहा है। आज भावना न सिर्फ लोगों को मशरूम बांट रही हैं बल्कि गांव के लोगों को मशरूम की खेती करने के लिए शिक्षित भी कर रही हैं।
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