देहरादून। राज्य में वर्कचार्ज से नियमित हुए कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है। हाईकोर्ट ने सरकार को इन कर्मचारियों को वर्कचार्ज की अवधि को नियति सेवा में जोड़ने और इसी के आधार पर उन्हें पेंशन, ग्रेच्युटी और अन्य सुविधाएं देने के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट के इस आदेश से उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश के हजारों कर्मचारियों को फायदा मिलेगा।
वर्कचार्ज की धारा खत्म करने की मांग
गौरतलब है कि पौड़ी गढ़वाल निवासी कुंवर सिंह चैहान और देहरादून के ओमप्रकाश ने वर्कचार्ज रेगूलेशन की धारा को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने इस धारा को असंवैधानिक करार देने की मांग की है। याचिकाकर्ता के अनुसार इस रेगूलेशन में केवल नियमित कर्मचारियों को ही पेंशन एवं ग्रेच्यूटी देने का प्रावधान है। उत्तरप्रदेश में साल 2000 में ही इस धारा को समाप्त कर दिया है। ऐसे में अब उन्हें भी वर्कचार्ज कर्मचारी कहना ठीक नहीं है। उनकी सेवा को भी नियमित सेवा में शामिल किया जाए।
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दोनों राज्यों के कर्मचारियों को होगा फायदा
न्यायमूर्ति राजीव शर्मा की एकल पीठ ने सरकार को वर्कचार्ज अवधि को नियमित सेवा में जोड़कर उन्हें पेंशन, ग्रेच्यूटी एवं अन्य फायदे देने के निर्देश दिए हैं। याचिका मंे उत्तरप्रदेश में सरकर भी एक पक्ष थी। इस आदेश के बाद उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश के लोक निर्माण विभाग, सिंचाई एवं अन्य विभागों के सरकारी कर्मचरियों, जिनमें सींचपाल और बेलदार शामिल हैं उनको फायदा मिलेगा।