देहरादून। उत्तराखंड को खुद ही ऊर्जा प्रदेश कहा जाता है लेकिन यहां के गांवों में बिजली की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। अब केन्द्र प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में बिजली की सुविधा सुचारू बनाने के लिए रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन काॅरपोरेशन (आरईसी) के तहत सीधे नजर बनाए रखेगा। बिजली की कटौती और ट्रिपिंग की जांच के लिए सभी 849 ग्रामीण फीडरों पर माॅडम लगाए जाएंगे। जहां से ज्यादा कटौती की सूचना मिलेगी उस फीडर को सुधारने के लिए कदम उठाया जाएगा।
बिजली की व्यवस्था होगी बेहतर
गौरतलब है कि गांवों के सुदूर इलाकों तक बिजली पहुंचाने के लिए केन्द्र सरकार ने रूरल इलेक्ट्रिकेशन कार्पोरेशन (आरईसी) योजना शुरू की है। इस योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में बिजली की स्थिति पर केन्द्र सीधे नजर बनाए रखेगा। बिजली की कटौती और ट्रिपिंग को जांचने के लिए यहां माॅडम लगाए जाएंगे। फिलहाल योजना की सफलता मापने के लिए 50 फीडरों पर मॉडम लगाया जा चुका है।
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मैनुअल रखा जाता है हिसाब
आपको बता दें कि अभी तक ट्रिपिंग और फाल्ट के कारण होने वाली कटौती का हिसाब-किताब मैनुअल ही रखा जाता है। मॉडम लगने के बाद उत्तराखंड पावर कार्पोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) की हकीकत का भी पता चलेगा कि बिजली की सही मायनों में कटौती कितनी है और दिखाई कितनी जाती है। प्रदेश में बिजली की सूरतेहाल बदलने के लिए आरईसी योजना की शुरुआत भी हो चुकी है।
एक महीने में शुरू होगा काम
आरईसी योजना के तहत केन्द्र राज्य के ग्रामीण इलाकों में बिजली की व्यवस्था को बेहतर बनाना चाहती है। बड़ी बात यह है कि इस योजना पर आने वाला पूरा खर्च केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय ही वहन करेगा। मंत्रालय आरईसी योजना शुरू करने के लिए कम्युनिकेशन सिस्टम तैयार कर रहा है। आपको बता दें कि आरईसी योजना के लिए टेंडर हो चुके हैं और ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि एक महीने के अंदर इस पर काम शुरू हो जाएगा।
योजना का स्वरूप
-फीडर का डाटा मीटर में दर्ज होगा और मीटर को सर्वर से जोड़ा जाएगा।
-पांच मिनट से ज्यादा किसी भी कारण से हुई बिजली बंदी की रिपोर्ट सीधे नेशनल पावर पोर्टल में दर्ज होगी।
-फीडर को बिजली आपूर्ति और वितरण का डाटा भी पोर्टल पर दर्ज होगा।
-इससे तकनीकी और लाइन लॉस की भी रियल टाइम मॉनिटरिंग होगी।
-पोर्टल पर कोई भी उपभोक्ता इस जानकारी को देख सकता है।
-फीडर से मिलने वाले डाटा के आधार पर समीक्षा होगी।