हल्द्वानी। राज्य में परंपरागत अनाजों की खेती करने वाले किसानों के लिए अच्छी खबर है। कृषि उत्पादन मंडी मंडुवा, झंगोरा उगाने वाले किसानों के घरों पर जाकर इन पहाड़ी उत्पादों को खरीदेगी और सरकार ही इन उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करेगी। बता दें कि फिलहाल उत्तराखंड कृषि उत्पादन विपणन बोर्ड की बैठक में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चमोली एवं अल्मोड़ा जिले में विक्रय केंद्र खोलकर मंडुवा, झंगोरा, चौलाई, कट्टू एवं कौनी की खरीद होगी। इसके लिए कृषि विपणन बोर्ड को 10 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है।
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गौरतलब है कि इस बैठक में कृृषि मंत्री सुबोध उनियाल खुद भी मौजूद थे। बैठक में इस बात का निर्णय लिया गया है कि मंडी सीधे किसानों से यह उत्पाद खरीदेगी और इसके लिए ब्लॉक स्तर पर केंद्र बनाए जाएंगे। रुद्रपुर के मल्टीग्रेन प्रसंस्करण केंद्र में इसकी प्रोसेसिंग कर इसे खुले बाजार में बिक्री योग्य बनाया जाएगा। इन अनाजों को हल्द्वानी, देहरादून के अलावा दिल्ली मंडी समेत उन मंडियों में भेजा जाएगा, जहां से इनकी मांग आ रही है।
बता दें कि देश के कई हिस्सों में ऑर्गेनिक उत्पादों की भारी मांग को देखते हुए मंडी को उम्मीद है कि इन उत्पादों की बिक्री से किसानों को लाभ मिलेगा। अगले चरण में पौड़ी, टिहरी, पिथौरागढ़ जिलों को भी योजना में शामिल किया जाएगा। यहां गौर करने वाली बात है कि उत्तराखंड में करीब 18 हजार मीट्रिक टन चावल का उपयोग मिड डे मील के लिए किया जाता है। सरकार अब चावल को मंडुवा और झंगोरा से बदलने पर विचार कर रही है। ऐसा करने पर 18 हजार मिट्रिक टन कोदा, झंगोरा की खपत सीधे स्कूलों में होगी। इससे बच्चों को भोजन में भरपूर पोषण भी मिलेगा और किसानों को भी फायदा होगा।