देहरादून। राज्य में शराबबंदी की मांग जोर पकड़ती जा रही है। सदन में भी इस बात को लेकर विपक्ष सरकार को घेर रही है। शराबबंदी को लेकर राज्य के आबकारी विभाग ने हाईवे से 500 मीटर के दायरे से हटाने की याचिका पर पुनर्विचार के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश में शराबबंदी बिहार की तर्ज पर नहीं की जाएगी। उन्होंने पिछली सरकार पर भी तंज किया कि सरकार में रहते हुए जिसने शराबबंदी लागू नहीं की वह अब सरकार से इसकी मांग कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट में पुनर्याचिका
गौरतलब है कि उत्तराखंड में आज शराबबंदी एक आंदोलन का रूप लेता जा रहा है। खासकर महिलाओं ने इसके विरोध में मोर्चा खोल रखा है। विपक्षी पार्टी भी महिलाओं के साथ मिलकर सरकार ने राज्य में पूर्ण शराबबंदी की मांग कर रही है। यहां आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश में शराब की दुकानों को राष्ट्रीय राजमार्ग और स्टेट हाईवे के 500 मीटर के दायरे से दूर हटाने के आदेश दिए हैं। इसके बाद राज्य के आबकारी विभाग ने प्रदेश की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है। वहीं आबकारी मंत्री ने सदन में जवाब देते हुए कहा कि राज्य में पूर्ण शराबबंदी की सरकार की कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि अगली आबकारी नीति में शराब की दुकानों के विरोध को भी रखा जाएगा।
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बिहार की तर्ज पर शराबबंदी नहीं
राज्य में शराबबंदी को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश में बिहार की तर्ज पर शराबबंदी लागू नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि हम शराब को राजस्व का जरिया नहीं बनने देना चाहते हैं लेकिन यह जरूरी नहीं है कि पूर्ण पाबंदी लगा देने से शराब का इस्तेमाल बिल्कुल बंद हो जाए। गौरतलब है कि आजकल महिलाएं राज्य में शराबबंदी को लेकर आंदोलन कर रही हैं। कई जगहों पर तो शराब की दुकानों में तोड़-फोड़ कर उसमें आग तक लगा दी गई है। मुख्यमंत्री ने शराबबंदी की मांग में कांग्रेस के शामिल होने पर तंज करते हुए कहा कि जो पार्टी सत्ता में रहते हुए शराबबंदी नहीं की वह आज सरकार से इसकी मांग कर रही है।