नैनीताल । श्रीनगर NIT मामले में कोर्ट के आदेश की अवमानना मामले में अब हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार के खिलाफ तल्ख तेवर अपना लिए हैं। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खंडपीठ ने गत 27 मार्च को अपने आदेश में राज्य की त्रिवेंद्र रावत सरकार को निर्देश दिया था कि वह एनआईटी कैंपस के लिए पहाड़ और मैदानी इलाकों में चार जगह चिन्हित करके उन्हें बताएं। बावजूद इसके सरकार की ओर से उदासीनता बरतने पर अब हाईकोर्ट ने श्रीनगर एनआइटी मामले में आदेश की अवमानना करने पर राज्य सरकार पर कार्यवाही शुरू करने को कहा है। कोर्ट ने इस मामले में नाराजगी जताते हुए कहा कि राज्य सरकार की सुस्ती के चलते प्रतिष्ठित संस्थान को उत्तराखंड से बाहर ले जाया जा सकता है। इतना ही नहीं पीठ ने सरकार के खिलाफ याचिका दायर करने वाले को कहा है कि वह सरकार के खिलाफ अवमामना की याचिका दायर करे ।
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विदित हो कि श्रीनगर एनआईटी कैंपस को लेकर काफी हंगामा हो चुका है । खुद छात्रों ने नए कैंपस की मांग करते हुए कुछ माह पर जमकर हंगमा किया था। यहां तक ही छात्रों ने शिक्षा का बहिष्कार कर दिया था । इसके बाद हंगामा इस कदर बढ़ गया कि हाईकोर्ट तक जा पहुंचा है । इस मामले में पिछले दिनों हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि वह कैंपस मसले का हल निकालने के लिए पहाड़ और मैदानी इलाके में मिलाकर चार जगह चिन्हित कर कोर्ट को बताएं। बावजूद इसके कोर्ट ने इस मामले में उदासीनता बरती हुई है ।
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मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खंडपीठ ने सरकार के इस रुख पर नाराजगी जताई है । कोर्ट ने इस मामले में सरकार के खिलाफ याचिकाकर्ता को अवमामना की याचिका दायर करने को कहा है। न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकार को भी फटकार लगाई है। खण्डपीठ ने पूर्व में नए छात्रों के प्रवेशों के बारे पूछते हुए 24 अप्रैल तक पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में से चार स्थानों को चयनित कर न्यायालय को सूचित करने को कहा था लेकिन सरकार की सुस्ती के कारण ये नहीं हो सका।
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खण्डपीठ ने श्रीनगर से एनआईटी को जयपुर शिफ्ट करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर नाराज होते हुए कहा कि मामला राजनीति और ब्यूरोक्रेट के हाथों की कठपुतली बन गया है।