देहरादून। राज्य के शिक्षा विभाग ने तबादला नीति का प्रस्ताव पूरी तरह से तैयार कर लिया है। तबादला नियमावली संशोधन समिति ने विभाग के प्रस्ताव में कई बदलाव किए हैं। इस नए प्रस्ताव को शिक्षक संगठनों को सौंप दिया गया है। नए प्रस्ताव में तबादलों की संख्या निर्धारित नहीं की गई है जितने खाली पद होंने उतने ही लोगों के तबादले किए जाएंगे। इसके साथ ही प्रतिनियुक्ति वाले तबादलों को सर्वोच्च सुगम में माना जाएगा। मौजूदा नीति के विवादित धारा 29 ए की व्यवस्था को भी खत्म कर दिया गया है।
तबादला नीति की जगह तबादला कानून
गौरतलब है कि सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के तीनों संगठनों ने साफ किया है उन्हें तबादला कानून से अलावा कोई दूसरी नीति-नियमावली स्वीकार नहीं है। शिक्षा निदेशालय में तबादला नियमावली संशेधन समिति की बैठक में शिक्षक नेताओं ने नियमावली को खारिज किया। शिक्षक संगठनों का कहना है कि नीतियों की वजह से भ्रष्टाचार होता है उसके लिए कानून लाना ज्यादा जरूरी है। शिक्षक संगठनों के प्रांतीय और जिला अध्यक्ष, सचिव और महामंत्री को पद पर रहने तक छूट रहेगी। लगतार 5 सालों तक एक ही पद पर रहने के बाद उनका भी तबादला किया जाएगा।
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कोटीकरण-नियुक्ति
-कोटीकरण कमिश्नर की अध्यक्षता में कमेटी करेगी,
-शिक्षक नेता सदस्य होंगे।
-महिलाएं डी श्रेणी और मेरिट पर सुगम में नियुक्ति।
-तबादले 4 श्रेणी में होंगे।
अनिवार्य तबादला
सुगम में ए श्रेणी में पांच, बी श्रेणी में छह और सी श्रेणी के स्कूल में 7 वर्ष सेवा पर दुर्गम में तबादला होगा। सुगम में 10, 12 व 14 साल सेवा वालों को प्राथमिकता। दुर्गम के डी, ई, एफ में सेवा अवधि क्रम उलटा होगा।
इन्हें मिलेगी छूट
वैसे स्कूली शिक्षक जिनके पति या पत्नी सेना में हैं उन्हें तबादले में छूट मिलेगी लेकिन उनके साथ भी यह शर्त है कि वे 58 वर्ष की आयु और दुर्गम में 8 से 12 साल की सेवा पूरी कर चुके हों। इसके साथ ही गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को भी तबादला में छूट दी गई है। जो लोग कैंसर, टीबी, ब्लड कैंसर, एचआईवी, बाईपास सर्जरी, हार्ट प्राॅब्लम जैसी खतरनाक बीमारी पीड़ित हैं उन्हें तबादला में छूट मिलेगी।