देहरादून। सिडकुल घोटाले के तार नेताओं से भी जुड़ते नजर आ रहे हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि नेताओं के दवाब की वजह से नियमों की अनदेखी कर औद्योगिक विकास के लिए दी जाने वाली रकम को इस क्षेत्र के बाहर खर्च कर दिए। बता दें कि यह रकम औद्योगिक क्षेत्रों के विकास के लिए हुडको से लोन पर ली गई थी। सिडकुल के ऑडिट में यह बात सामने आई है। ऑडिट में लोन के पैसे को खर्च करने में अनियमितता सामने आने के बाद इस मामले का स्पेशल ऑडिट कराया जा रहा है।
यूपी निर्माण निगम से मिलीभगत
गौरतलब है कि सिडकुल ने राज्य के औद्योगिक क्षेत्रों के विकास के लिए कांग्रेस के शासनकाल में हुडको से करीब 765 करोड़ रुपये लोन लिया था। नियमों के मुताबिक इन पैसों को औद्योगिक क्षेत्रों के विकास पर खर्च किया जाना था लेकिन सिडकुल के अधिकारियों और यूपी निर्माण निगम के बीच मिलीभगत के चलते सभी तरह के कार्य यूपी निर्माण निगम के जरिए ही कराए गए। हैरानी की बात यह है कि सिडकुल की वेबसाइट डिजाइनिंग से लेकर सभी तरह के कार्य यूपी निर्माण निगम ने ही किए।
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बजट में गड़बड़ी
आपको बता दें कि जांच रिपोर्ट के अनुसार सिडकुल में हुए घोटाले में पैसों का बंटवारा नेताओं और मंत्रियों के दवाब में किए गए। कई मंत्रियों और विधायकों ने सिडकुल क्षेत्र के बाहर निर्माण कार्य कराए। इसमें यात्री सुविधाओं से लेकर कई मनमाने कार्य भी शामिल हैं। बता दें कि सिडकुल पर अभी करीब 763 करोड़ रुपये की देनदारी है जबकि उसकी सालाना कमाई करीब 125 करोड़ रुपये की है। हाल में सिडकुल की ओर से सरकार को बताया गया कि उनके पास नए कार्यों के लिए बजट नहीं है। इसके बाद सरकार को सिडकुल में पिछले सालों में हुई गड़बड़ी की जानकारी मिल पाई।