देहरादून। उत्तराखंड के कुछ इलाकों में इन दिनों बेमौसम भूस्खलन का सिलसिला जारी है। इसकी चपेट में आए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है। बताया जा रहा है कि अभी बागेश्वर जिले के कुंवारी गांव में लगातार पत्थरों के गिरने का सिलसिला जारी है। यहां फंसे लोगों को सुरक्षित टेंटों में पहुंचा दिया गया है और उन्हें खाने का सामान भी मुहैया करा दिया गया है।
खास बात यह है कि पिछले दिनों चमोली के गांव में भी पहाड़ों से पत्थर गिरने के चलते 2 मकान बुरी तरह से दब गए और कई मकानों में मलबा घुस गया था। पहाड़ों से मलबा गिरने से किसानों की फसलों को भी काफी नुकसान हुआ है। बड़ी बात यह है कि सरकार की तरफ से भले ही सीमांत गांवों तक इंटरनेट की सुविधा पहुंचाने की बात कर रहे हों लेकिन चमोली के गांव में हुए भूस्खलन की खबर 2 दिनों की देरी से मिली थी। फिलहाल कुंवारी गांव में आपदा प्रभावित परिवारों के लिए खाद्यान्न सहित सभी जरूरी सामान पहुंचा दिया है।
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गौरतलब है कि कपकोट तहसील मुख्यालय से लगभग 95 किमी की दूरी पर स्थित कुंवारी गांव में 10 मार्च की शाम एकाएक भूस्खलन हो गया था। क्षेत्र के हालात जानने के लिए मौके पर जिलाधिकारी को भी भेज गया था लेकिन वहां से लौटने के बाद उन्होंने जो जानकारी दी है वह हैरान करने वाली है। डीएम के अनुसार 2015 में बैकुनीधार में शिफ्ट किए गए लोगों की स्थिति भी चिंताजनक है। बताया जा रहा है कि पत्थर गिरने की घटना शुरू होते ही करीब 16 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया था लेकिन अब लगातार पत्थर गिरने से सभी 30 परिवारों को वहां से शिफ्ट कर दिया गया है।
एसडीएम बताया कि पूरा नया और पुराना कुंवारी गांव खतरे में है। वहां के खेतों में भी बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं। ऊपरी पहाड़ी से बिना रुके पत्थरों की बरसात हो रही है जबकि नीचे की ओर से जमीन धंस रही हैं। उन्होंने बताया कि इससे लगे चमोली जिले के देवाल क्षेत्र के झलिया गांव में भी यही स्थिति है।