Monday, May 6, 2024

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जूनियर और बेसिक के बाद राजकीय शिक्षक संघ भी ड्रेस कोड पर हुए राजी, मंत्री ने दिए मांगों को मानने का आश्वासन

अंग्वाल न्यूज डेस्क
जूनियर और बेसिक के बाद राजकीय शिक्षक संघ भी ड्रेस कोड पर हुए राजी, मंत्री ने दिए मांगों को मानने का आश्वासन

देहरादून। ड्रेसकोड पर सरकार की सख्ती के बाद बेसिक और जूनियर शिक्षकों के बाद शिक्षक संघ के बड़े यूनियन राजकीय शिक्षक संघ भी इस पर राजी हो गया है। उन्होंने कहा कि अगर उनकी मांगों पर कार्रवाई की जाती है तो वे 5 सितंबर से ड्रेसकोड का पालन करेंगे लेकिन ड्रेस वे खुद तय करेंगे और बुधवार एवं शनिवार को सामान्य पोशाक में ही स्कूल आएंगे। शिक्षा मंत्री ने साफ तौर कहा कि शिक्षकों के प्रति उनका बहुत ज्यादा सम्मान है और सरकार उनके हित के लिए काम कर रही है। वहीं दूसरी तरफ हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग ने तीन महीने के अंदर बीआरसी-सीआरसी के पदों पर स्थाई भर्ती करने के आदेश दिए हैं। 

सरकार शिक्षकों की विरोधी नहीं

गौरतलब है कि शिक्षा मंत्री के कार्यालय में शिक्षक संघों की हुई मुलाकात में मंत्री ने कहा कि सरकार शिक्षक विरोधी नहीं है। शिक्षकों के लिए उनके दिल में काफी सम्मान है और वह शिक्षा के साथ उनकी भलाई के लिए ही काम कर रहे हैं। इस मौके पर शिक्षा महानिदेशक कैप्टन आलोक शेखर तिवारी और शिक्षा निदेशक आरके कुंवर भी मौजूद थे। 

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शिक्षा मंत्री ने दिया आश्वासन


शिक्षा मंत्री से बातचीत करते हुए शिक्षक संघ के अध्यक्ष राम सिंह चैहान ने कहा कि ड्रेस कोड को लेकर हमारा कोई अहम नहीं है। हम चाहते हैं शिक्षकों की मांगों पर कार्रवाई हो। आज मंत्री ने कार्रवाई का आश्वासन दे दिया है। यदि मांगों पर कार्रवाई होती है तो हमें ड्रेस से कोई विरोध नहीं। आपको बता दें कि शिक्षा विभाग में 1 अगस्त से नीली कमीज और स्टील ग्रे पैंट को ड्रेस कोड के तौर पर लागू कर दिया है। इसके बाद शिक्षक संघों ने इसके लिए उन्हें विश्वास में न लिए जाने की बात कहकर इसका विरोध करना शुरू कर दिया था। अब शिक्षा मंत्री ने शिक्षकों की बातों को सुनने के बाद उन्हें सभी मांगों पर कार्रवाई का भरोसा दिलाया है। उन्होंने कहा कि स्कूलों के कोटीकरण के लिए कमेटी गठित की जा रही है इसमें शिक्षक संगठनों का भी प्रतिनिधित्व रहेगा। 

सीआरसी-बीआरसी के पदों पर स्थाई नियुक्ति

वहीं दूसरी तरफ हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग को बीआरसी-सीआरसी के पदों पर तीन महीने के अंदर स्थाई नियुक्ति करने के आदेश दिए हैं। बता दें कि शशि भूषण व अन्य ने विशेष याचिका दायर कर कहा था कि एसएसए के तहत सरकार ने 2014 में बीआरसी और सीआरसी पदों पर उनकी तैनाती की थी जिसे चुनौती देते हुए कहा गया था कि योग्य होने के बावजूद कुछ लोगों को इन पदों पर तैनाती नहीं की गई है। इसमें शिक्षकों का समायोजन किया गया है, जबकि वे लोग इस पद की पूरी अर्हता रखते हैं। इस पर एकल पीठ ने सभी पदों पर सीधी भर्ती के आदेश दिए थे एवं योग्य पाए गए शिक्षकों को यथावत रखने के आदेश दिए थे। अब मुख्य न्यायाधीश केएम जोसफ व न्यायमूर्ति आलोक सिंह की संयुक्त खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए सरकार को इन पदों पर तीन महीने के अंदर से स्थाई नियुक्ति करने के निर्देश दिए हैं। 

 

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